साढ़ेसाती के बारें में कुछ जरूरी बातें।
कुछ जरूरी पॉइंट साढ़ेसाती के लिए।
१.कभी भी साढ़ेसाती नाम से और जन्म लग्न से कोई लेना देना नहीं ।
२.साढ़ेसाती सिर्फ जन्म कुंडली के चन्द्रमा से ही देखी जाती है ।
३.जन्म कुंडली में शनि देव अगर योगकारक हो तो वहां साढ़ेसाती का बुरा प्रभाव कम होता है ।
४.जन्म कुंडली में अगर चन्द्रमा देवता भी योगकारक हो तो वहां भी साढ़ेसाती के बुरे प्रभाव में कमी आ जाती है ।
५.अगर जन्म कुंडली में योगकारक की दशा चल रही हो तो,तो भी साढ़ेसाती का बुरा प्रभाव कम होता है।
६.ज्यादातर साढ़ेसाती बुरा असर ही लेकर आती है।
७.जिस घर में चन्द्रमा हो साढ़ेसाती का सारा असर उसी घर के हिसाब से मिलता है।जन्म कुंडली में।
८.जिस घर का मालिक चन्द्रमा (जन्म कुंडली में )हो तो उस घर पर भी असर पड़ता है साढ़ेसाती का।
९.साढ़ेसाती का असर साढ़ेसाती के शुरू होने के पहले ६ महीने ही शुरू हो जाता है और साढ़ेसाती बीतने के बाद भी ६
महीने आगे असर उस राशि पर रहता है ।
१०.पहले ढाई साल शनिदेव जी का प्रभाव वह बीज उदय होना शुरू होता है । शुरआती तौर पर छोटी-छोटी
समस्या शुरू होती है ।
११.दूसरे ढाई साल सबसे ज्यादा उलझा हुआ होता है । जातक को ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है ।
१३.तीसरे ढाई साल में इतनी दिक्क्त नहीं आती।
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