ग्रह -:
हमारे सौर मंडल में अनगणित ग्रह है। हमारे शरीर में जिन ९ ग्रहों का प्रभाव पड़ता है,ज्योतिष शास्त्र में उन्ही नौ ग्रहों का अध्यन किया है जो इस प्रकार है :-
१.सूर्य
राशि -स्वामी
१.मेष – मंगल २.वृष – शुक्र ३.मिथुन – बुध ४.कर्क – चंद्र ५.सिंह – सूर्य ६.कन्या -बुध
७.तुला – शुक्र ८.वृश्चिक – मंगल ९.धनु – गुरु १०.मकर -शनि ११.कुंभ- शनि १२.मीन – गुरु
भाव विस्लेषण
पहला भाव – प्रवृत्ति,स्वाभाव,शरीर की बनावट,चेहरा,व्यव्हार,चरित्र,जीवन की शुरुआत,स्वास्थय,प्रसन्नता,सवंय का व्यक्तित्व।
दूसरा भाव -धन,परिवार,वाणी,कुटुम्ब,फाइनेंस ।
तीसरा भाव -पराक्रम,परिश्रम,छोटे भाई-बहन,छोटी यात्राएं,बाहुबल,मित्रगण,सामाजिक मेल-मिलाप,शारीरिक क्षमता ।
चौथा भाव -गाड़ी,भूमि,मकान,माता,सुख -सुविधायें,जन्म भूमि,जनता ।
पंचम भाव -बुद्धि,संतान,स्मरण शक्ति,अचानक धन लाभ होना,प्रेम -प्रसंग,निर्णय लेने की
शरीर के अंग
पहला भाव -चेहरा,सिर,बाल
दूसरा भाव -गला,वाणी,गर्दन,कंठ
तीसरा भाव -बाजू
चौथा भाव -छाती
पांचवा भाव -पेट
छठा भाव -पीठ
सातवां भाव -सेक्स
आठवां भाव -कमर
नौवां भाव -जाँघे
दसवां भाव -घुटने
ग्यारहवां भाव -पिंडली
बाहरवां भाव
वास्तु टिप्स
घडी,दर्पण,वाश बेसिन,भगवान की फोटो,टीवी उतर,पक्षिम और पूर्व की दिशा में ही लगानी चाहिए ।
उतर,पक्षिम,और पूर्व की दिशा में फीका रंग करवाना चाहिए।
दक्षिण की तरफ सिर करके सोना चाहिए इससे हेल्थ ठीक रहती है।
अगर मकान,दुकान,ऑफिस
‘पिता का सही घर’
दूसरा भाव :आपका परिवार दशम भाव :पिता का परिवार
बहुत सारे लोग दशम भाव को पिता का घर मान लेते है
रत्न पहनने का अर्थ यह है की जिस ग्रह का रत्न धारण किया जाता है उस ग्रह की किरणों को शरीर में बढ़ाना होता है।
रत्न धारण करने से कोई चमत्कार नहीं होता बल्कि जिस ग्रह की किरणे आपके शरीर
कुंडली के सभी भावों को निम्नलिखत शब्दों द्वारा संबोधित किया जाता है :-
१.लग्नेश २.द्वितीयेश
३.तृतीयेश ४.चतुर्थेश
५.पंचमेश ६.षष्ठेश
७.सप्तमेश ८.अष्टमेश
९.नवमेश १०.दशमेश
११.एकादशेश १२.द्वादशेश
नोट-भाव की राशि के स्वामी को भावेश
रोज़ रात को सोने से पहले अगर मोर पंख से हवा ली जाये तो ऊपरी हवा और बुरी नज़र से छुटकारा मिलता है,शनि,राहु,केतु देवता को शांति मिलती है और इनके बुरे प्रभाव कम होते है।
यह भी कहा जाता है
कुंडली के १२ भावों के नाम इस प्रकार है:-
१.तन भाव २.धन भाव
३.भ्राता भाव ४.माता भाव
५.संतान भाव ६.रोग भाव
७.जया भाव ८.आयु भाव
९.भाग्य भाव १०.कर्म भाव
११.लाभ भाव १२.खर्च भाव