विदेश में हमेशा रहने का योग भाग-३
शनि,राहु,केतु की महादशा-अन्तर्दशा में भी विदेश में रहने की मददगार साबित होती है। क्यों की यह सभी ग्रह विदेश में सेट होने या यात्रा के कारक माने जाते है।
शनि देव की साढ़ेसाती या ढैया भी विदेश में सेट होने का योग बनाते है।
जब लग्न कुंडली में चौथे भाव पर गोचर का पाप प्रभाव आये जैसे की शनि,राहु,केतु और क्रूर ग्रह सूर्य,मंगल तब भी बाहर जाने का योग बनता है।