धनु लग्न में प्रथम भाव में मंगलीक भंग योग-
धनु लग्न में प्रथम भाव में मंगलीक भंग योग –
धनु लग्न में मंगल देवता अगर पहले भाव में हो तो जातक मंगलीक नहीं होता क्यों की यहां पर मंगल ग्रह
त्रिकोण के स्वामी,लग्नेश गुरु के अतिमित्र होने के कारण अति योगकारक ग्रह है जो की सातवीं दृष्टी सातवें
भाव पर पड़ने से स्वस्थ और खुशहाल वैवाहिक जीवन जीने में सहायता करती है ।
नोट -ग्रहों का बल और और डिग्री वाइज अवश्य चेक कर लें ।