विष योग मेष लग्न पार्ट -14
मेष लग्न की कुंडली मे ग्याहरवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव अतियोगकारक होने के कारण विष योग नही बनाएंगे ! ग्याहरवें भाव मे शनि देव स्वग्रही सबसे अच्छा ग्रह होकर बैठे है जो की व्यपार, लाभ, इच्छा पूर्ति के लिए बहुत ही अच्छा होगा !और चंद्र देव भी ग्याहरवें भाव मे बैठ कर सुख सुविधाएं पुुरी करवाएगा !
फल -ग्यारहवें भाव मे स्वग्रही होकर बैठे शनि देव तीसरी दृष्टी लग्न भाव पर पड़ने से जातक का स्वभाव बहुत अच्छा,ताकतवार,समझदार होगा, आत्म बली भी होगा, खुद पर विश्वास रखने वाला होगा !
सातवीं दृष्टी पंचम भाव पर पड़ने से शनि देव जातक को तेज़ दिमाग़, पढ़ाई मे कामयाबी, संतान की प्राप्ति,शेयर मार्किट मे कामयाबी,जनता से लाभ,लव मैरिज मे भी कामयाबी मिलती है !दसवीं दृष्टी शनि देव की आठवें भाव पर पड़ने से जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट से दूर रखेगा, गुप्त विद्या का ज्ञान रखने वाला,ससुराल से लाभ प्राप्ति,मोक्ष प्राप्ति,आयु लम्बी और मृत्यु के समय तक अच्छा समय बिताने वाला होगा ! चंद्र देव की सातवीं दृष्टी पंचम भाव पर पड़ने से तेज़ दिमाग़, सरकारी नौकरी अच्छे कर्म करने वाला और हर तरह की इच्छा पूरी करने वाला होता है !
नोट -ग्रहों की दशा -महादशा और डिग्री वाइज बलाबल अवश्य देख लें !
ध्यान दें -दशा-महादशा और गोचर के अनुसार मोती भी पहन सकते है जो की भाग्य के लिए अति उत्तम है !