राहु केतु देव के बारे मे जरूरी बात
देखो ज्योतिष को सही मायनों :-व्यापार ना बनाओ ये विधा बहुत अमूल्य धरोवर है,जिसे हमारे ऋषि मुनियों ने संजोकर रखा था,
राहु भृमजाल है,माया है कल्पना है,विचारों में भृमण कर रहा है,ये वो दृश्य शक्ति है जिसे पहचान पाना हर किसी जे बस की बात नही है
कहने को सभी ज्ञानी दैवज्ञ पंडित है परंतु सच क्या है ये तो नारायण ही जाने ,
खैर छोड़ो इन सब बातों को
अपने विचार जरूर दे दीजियेगा,
राहु:-वृषभ, तुला, मिथुन, कन्या लग्न वालों के लिए बहुत शुभकारी एवम मकर कुंभ लग्न वालों के लिए भी अच्छा होता है
ऐसा क्यो ?
ऐसा इसलिए क्योकि शुक्र राहु का मित्र है,
राहु स्वयं दैत्य है ,एवम शुक्र इसका गुरु ,क्योकी शुक्र ही दैत्य गुरु शुक्राचार्य है,इसलिए जब भी राहु वृषभ तुला में होगा तो अच्छा ही फल देगा,अपने गुरु के घर मे शांत एवम शुभकारी होता है गुरु भक्ति में लीन,
मिथुन एवम कन्या राशि इसकी स्वयं की राशि कही गई है शास्त्रों में,मकर कुम्भ इसकी मित्र राशि है ,मिथुन में स्वराशि एवम कन्या में उच्च का ,इसमे कुछ दैवज्ञ के विचार भिन्न भी है ,
बुध एवम शनि, राहु के परम मित्र है इसलिए ही तो राहु 3rd,6th,10th,11th भाव मे ताकतवर कहा गया है,
परंतु ये जब दूषित होकर शनि के साथ होता है तो बन्धनदोष प्रेत बाधा से ग्रसित कर देता है,
एवम बुध के साथ बुद्धि का नाश बुद्धि को कुबुद्धि कर देता है,
शुक्र के साथ स्त्रियों को युरियन सम्बन्धी समश्या दे देता है,
ये मेने सामान्य सी बात लिखी है जो मेरे निज विचार है सहमत असहमत होना लाजमी है तर्क पर स्वागत है,कुतर्क पर क्षमा दें !