विष योग मेष लग्न पार्ट -11
मेष लग्न की कुंडली मे आठवें भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव अस्टम भाव में मारक होकर बैठे है जो की अतिमारक ग्रह हुए और चंद्र देवता यहाँ अस्टम भाव मे नीच होकर बैठे है जो की अतिमारक ग्रह हुए जिस कारण इस लग्न कुंडली मे विष योग बन रहा है अर्थात यहाँ दोनों ग्रह बुरा फल देंगे !
फल -यहाँ पर शनि देव की तीसरी दृष्टी दशम भाव पर पड़ने से काम काज मे दिक्कत परेशानी,पिता से अनबन, अच्छे कर्म ना करने वाला जातक व्यापारिक साझेदारी अच्छी नही रहेगी,सातवीं दृष्टी दूसरे भाव पर पड़ने से जातक को पारिवारिक परेशानी रहेगी, मांस, मदिरा या सिगरेट किसी भी प्रकार का नशा करता होगा, बोलने मे जल्दबाजी या बोलने के कारण लड़ाई झगड़ा करेगा और सांस की दिक्कत, धन जमा ना होने की समस्या रहेगी शनि देव की दसवीं दृष्टी पांचवे भाव पर पड़ने जातक दिमागी परेशानी, टेंशन,माइग्रेशन की प्रॉब्लम रहेगी,प्यार में धोखा, पढ़ाई मे कमज़ोर, शेयर मार्किट मे पैसा खराब करने वाला होगा, लाटरी सट्टा लगाने वाला होगा,गुस्सा ज्यादा करने वाला होगा !
चंद्र की सातवीं दृष्टी दूसरे भाव पर पड़ने से आमदनी मे नुकसान,परिवारीक और प्रॉपर्टी परेशानी, ससुराल से ना बनना, माँ से अनबन,और शरीरिक तोर पर खून मे इन्फेक्शन, सर्वाइकल की प्रॉब्लम रहेगी !चंद्र और शनि दोनों अस्टम भाव मे मृत्यु तुल्य कष्ट भी देंगे !
नोट -ग्रहों की दशा-महादशा और डिग्री वाइज बलाबल अवश्य चेक करें !
नोट -ग्रह की डिग्री वाइज बलाबल अवश्य चेक कर लें !
उपाय -1.ॐ शनये नमः का जाप करें.
2.ॐ नमः शिवाय का जाप करें.
3.महामृत्युंजय का जाप करवाएं.
4.हर सोमवार को शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं.
5.सोमवार को दूध का दान करें.
6.हर शनिवार को काले माह का दान करें.
7.अगर लग्नेश अच्छे भाव मे हो तो मूंगा अवश्य पहने.
8.काला रंग कम पहने.
9.पीपल को हर रोज जल दें (रविवार को छोड़ कर ).
10.पीपल के निचे दिया जलाएं.
ध्यान देने योग्य बात -पीपल को सिर्फ जल दें ना की दूध या कच्ची लस्सी क्यों की पीपल को सिर्फ पानी की जरूरत होती है ना को कैल्शियम की !
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