विष योग मेष लग्न पार्ट-12
मेष लग्न की कुंडली मे नौवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव विष योग नही बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि और चंद्र दोनों ही योगकारक ग्रह है जो की चंद्र देव चौथे भाव के मालिक होकर नौवें भाव मे बैठे है जिससे जातक आपने भाग्य मे सुख सुविधायों से भरपूर होगा और शनि देव दशवें और ग्याहरवें भाव के स्वामी होकर नवम भाव मे बैठे है जिससे जातक का कामकाज से भाग्यउदय होगा और अपनी इच्छा अनुसार काम काज करेगा, उन्नति प्राप्ति होगी !
फल – नवंम भाव मे बैठे शनि देव की तीसरी दृष्टी अपनी ही राशि पर ग्यारहवें भाव पर पड़ने से जातक अपनी हर तरह की इच्छा पूरी करेगा, धर्म यात्रा की भी इच्छा पूरी होगी, धन का आभाव नही रहेगा, पिता से लाभ होगा धन का, व्यापार अच्छा रहेगा, अपनी इच्छा अनुसार विदेश यात्रा होगी ! शनि देव जी की सातवीं दृष्टी तीसरे भाव पर पड़ने से जातक मेहनती होगा, अपनी मेहनत से व्यापार को आगे बढ़ाने वाला, भाई बहनो से अच्छे रिश्ते होंगे, आत्म बली होगा !
शनि देव जी की दसवीं दृष्टी छठे भाव पर पड़ने से जातक व्यापार की प्रतियोगिता मे जीत हासिल करने वाला, कोर्ट-केस मे जीत, लड़ाई झगड़ा सुलझाने मे माहिर, शत्रु पर विजय प्राप्त करने वाला और बीमारी रहित होगा ! चंद्र देवता की सातवीं दृष्टी तीसरे भाव पर पड़ने से जातक माता-पिता दादा -दादी का सुख भाग्य मे,अपनी मेहनत से जमीन जायदाद बनाने वाला,जातक के पैदा होने के बाद माता के भाग्य मे सुख की कमी नही रहती !
नोट -ग्रहों की दशा-महादशा और डिग्री वाइज बलाबल अवश्य देख लें !
ध्यान दें -दशा-महादशा और गोचर के अनुसार मोती भी पहन सकते है जो की भाग्य के लिए बहुत अच्छा होगा !