विष योग मिथुन लग्न पार्ट -2
मिथुन लग्न की कुंडली मे दूसरे भाव मे बैठे चंद्र और शनि देवता विष योग बनाएंगे लेकिन यहां समझने बात योग्य यही है की यहां विष योग बनने का कारण चंद्र देवता होंगे ना शनि देवता चंद्र देवता शनि देवता के शुभ फल मे कमी लाएंगे और वहीं शनि देवता चंद्र देवता के अशुभ फल मे कमी लाएंगे !
फल -दूसरे भाव मे बैठे चंद्र देवता अपनी ही राशि मे बैठे है मिथुन लग्न मे तो यहाँ चंद्र आपने ही घर को बचाएंगे क्यों स्वराशि होकर बैठे है तो यहाँ चंद्र परिवारिक परेशानी आएगी लेकिन जल्दी खत्म भी जाएगी,वाणी अच्छी होगी,मोके पर धन की अवश्यकता पूरी होगी लेकिन इकठा होने मे दिक्कत आएगी!चंद्र की सातवीं दृष्टी अष्टम भाव पर पड़ने से जातक को दिमागी टेंशन, शरीरीक दिक्कत परेशानी, पैरों मे दर्द,ससुराल से कम बनेगी ! शनि दूसरे भाव मे बैठे जातक को वाणी द्वारा व्यापार मे लाभ कमाने वाला, सिंगर, वकील, धन की कमी ना रहना,सुखी परिवारीक होगा ! तीसरी दृष्टी शनि देव की चौथे भाव पर पड़ने से माता, भूमि, गाड़ी का सुख प्राप्त होता है !सातवीं दृष्टी शनि देव की आठवें भाव पर पड़ने से दिक्कत परेशानी कम, दिमागी टेंशन कम, ससुराल से लाभ होगा !दसवीं दृष्टी ग्यारहवें भाव पर पड़ने से जातक या जातिका अपनी इच्छा अनुसार धन कमाता है,परिवार की इच्छा पूरी करने वाला,धार्मिक होता है !
नोट-ग्रहों की महादशा – दशा और डिग्री वाइज बलाबल अवश्य चेक कर लें !
रत्न -महादशा-दशा और गोचर के अनुसार जातक को नीलम भी पहनाया जा सकता है !
उपाय -शिवलिंग पर हर सोमवार दूध चढ़ाएं !
पीपल को जल दे रोज़ाना !(रविवार छोड़ कर )
सफ़ेद चीज़ें दान करें हर सोमवार !
ॐ नमः शिवाय का जाप करें नित्य दिन !
ॐ चंद्रमसे नमः का भी जाप करें नित्यदिन !
शनि का दान कभी ना करें !