विष योग कर्क लग्न पार्ट-7
सातवें भाव मे बैठे शनि+चंद्र विष योग बनाएंगे लेकिन यहां चंद्र देवता योगकारक और लग्नेश केंद्र भाव मे होने के कारण बुरा फल नहीं देंगे, शनि देव भी आपने घर को बचाएंगे क्यूंकि उनकी अपनी ही राशि है लेकिन उनकी दृष्टियां बुरा फल देगी !
फल -शनि +चंद्र देवता की युति सातवें भाव पर वैवाहिक जीवन सुखी,साझेदारी अच्छी,अच्छा लाइफ पार्टनर दे सकते है !शनि देव की सातवीं दृष्टी लग्न भाव पर पड़ने पर दिमागी टेंशन ज्यादा, नेगेटिविटी,उग्र स्वभाव,बालों सम्बन्धी दिक्कत,शरीरीक दिक्कत परेशानी रह सकती है !तीसरी दृष्टी शनि देव की नवम भाव पर पड़ने से भाग्य मे दिक्कत परेशानी, पिता से अनबन,धर्म कार्यों मे रूचि कम,धार्मिक यात्रा मे दिक्कत परेशानी आ सकती है !दसवीं दृष्टी शनि देव की चौथे भाव पर पड़ने से माता,भूमि, गाड़ी, सुख सुविधायों मे दिक्कत परेशानी रह सकती है !सातवीं दृष्टी चंद्र देव की लग्न भाव यानि आपने ही घर पर पड़ने से अच्छी पर्सनालिटी,शरीरीक तोर पर बलवान,अच्छे कर्म वाला,गुस्सा कम,तेज़ दिमाग़ हो सकता है !
नोट -ग्रहों की दशा-महादशा और डिग्री वाइज बलाबल अवश्य देख लें !
ध्यान दें – अगर चंद्र देव अस्त हो तो गोचर अनुसार मोती भी पहनाया जा सकता है !
उपाय -1.पीपल को जल दें ! (रविवार छोड़ कर )
2.ॐ नमः शिवाय का पाठ करें !
3.मंत्र जाप के बाद अरदास अवश्य करें !
4.महा मृत्युंजय मंत्र का भी पाठ करें !
5.ॐ शनये नमः का पाठ अवश्य करें !