विष योग कर्क लग्न पार्ट-4
चौथे भाव मे बैठे शनि चंद्र कर्क लग्न मे विष योग बनाएंगे लेकिन यहाँ चंद्र देवता योगकारक होकर केंद्र भाव चौथे स्थान मे बैठे है जो की बहुत अच्छा माना जाता है और उनका कारक भाव भी है !तो चंद्र देव यहाँ बुरा फल नहीं देंगे बल्कि अच्छा फल देंगे !शनि देव यहां उच्च के होकर भी बुरा फल देंगे क्यूंकि लग्नेश के अति शत्रु है, चंद्र देवता के अच्छे फल को भी कम करेंगे !
फल-चंद्र चौथे भाव मे हर तरह की सुख सुविधायें पूरी हो सकती है, भूमि,वाहन और माता सुख भी अच्छा हो सकता है ! सातवीं दृष्टी चंद्र देवता की दशम भाव पर पड़ने से काम काज, स्वाभाव,राजनीती मे अच्छा पद भी मिल सकता है ! चौथे भाव मे शनि देव भूमि,गाड़ी,माता से दूर,छाती, हदय को नुकसान पहुंचा सकता है !शनि देव की तीसरी दृष्टी छठे भाव पर पड़ने से शत्रुता ज्यादा,कोर्ट केस मे दिक्कत परेशानी,माता से अनबन या माता की तबियत मे दिक्कत परेशानी,लड़ाई झगड़ा ज्यादा रह सकता है !सातवीं दृष्टी दशम भाव पर पड़ने से शनि देव की पिता से अनबन, कारोबार मे दिक्कत परेशानी, कारोबार का कर्ज़ा ना उतरना,राजनीती मे असफलता मिल सकती है !दशम दृष्टी शनि देव की लग्न भाव पर पड़ने से शरीरीक दिक्कत परेशानी, सिर दर्द,उग्र स्वभाव,ज्ञान मे कमी रह सकती है !
नोट -ग्रहों की दशा-महादशा और डिग्री वाइज बलाबल अवश्य देख लें !
ध्यान दें – अगर चंद्र देव अस्त हो तो गोचर अनुसार मोती भी पहनाया जा सकता है !
उपाय -1.पीपल को जल दें ! (रविवार छोड़ कर )
2.ॐ नमः शिवाय का पाठ करें !
3.मंत्र जाप के बाद अरदास अवश्य करें !
4.महा मृत्युंजय मंत्र का भी पाठ करें !
5.हर शनिवार को काले तिल चींटियों को डाले !
6.काले कपड़े किसी भी जरूरतमंद को दान दे हर शनिवार !
7.ॐ शनये नमः का पाठ अवश्य करें !