योग की परिभाषा-Definition of yoga
योग (युति योग) की परिभाषा-
दो ग्रहों का एक साथ बैठना ही योग कहलाता है। एक साथ बैठे ग्रहों को युति भी कहते है।योग जन्म लग्न कुंडली के मुताबिक अच्छा या बुरा फल देते है। शुभ योग जानने के लिए दोनों ग्रह लग्न कुंडली में योगकारक होना चाहिए अगर दोनों में से एक भी मारक हो तो शुभ योग नहीं बनेगा,उसकी शुभता में कमी आ जाएगी। बिलकुल इसके उल्ट अशुभ योग जानने के लिए लग्न कुंडली में दोनों ग्रह मारक होना चाहिए अगर एक भी ग्रह अशुभ योग में योगकारक हो जाये तो उस योग की अशुभता में कमी आएगी । योग में ग्रहों का बलाबल और डिग्री भी देखना बहुत जरूरी है। अगर लग्न कुंडली किसी भी भाव में ग्रह एक साथ बैठे है और उनका बल कम है या कोई एक ग्रह अस्त है तो उनके शुभ योग के फल में कमी आती है।
ग्रहों की युति से बने योग
केतु+चंद्र=ग्रहण योग
केतु+सूर्य=ग्रहण योग
राहु+सूर्य=ग्रहण योग
राहु+चंद्र=ग्रहण योग
राहु+मंगल=अंगारक योग
राहु+गुरु=चण्डाल योग
शनि+चंद्र=विष योग
मंगल+चंद्र=महालक्ष्मी योग
चंद्र+गुरु=गजकेसरी योग
सूर्य+बुध=बुध आदित्य योग
बुध+शुक्र=विष्णु लक्ष्मी योग
नोट-शुभ योग के लिए जन्म कुंडली में लग्नेश बलि होना बहुत जरूरी है।