वृष लग्न सप्तम भाव में मंगलीक भंग योग-VRISH LAGN SAPTAM BHAV MEIN MANGLIK BHANG YOGA
वृष लग्न में मंगलीक भंग योग –
वृष लग्न अगर मंगल देवता सातवें भाव में हो तो जातक/जातिका को मंगलीक नहीं माना जाता क्यों की
मंगल देवता सातवें भाव में अपने ही घर पर बैठे है( स्वराशि होकर ) जो की उस भाव को मजबूत
बनाता है जिस कारण वैवाहिक जीवन को सुधारने में सहायता करता है ।यहां मंगलीक भंग योग बनता है ।
स्वराशि -ज्योतिष के मुताबिक सबसे अच्छा ग्रह स्वराशि होता है क्यों की उसका अपना ही घर होता है जो की खुद
को नुकसान नहीं पहुंचाएगा उल्टा अपनी रक्षा करेगा ।
नोट – ग्रह की डिग्री वाइज बलाबल और बल अवश्य देख लें ।