वृष लग्न द्वादश भाव में मंगलीक भंग योग-VRISH LAGN BAHRVEIN BHAV MEIN MANGLIK BHANG YOGA
वृष लग्न द्वादश भाव में मंगलीक भंग योग –
वृष लग्न में अगर मंगल देवता द्वादश भाव में हो तो जातक/जातिका को मंगलीक नहीं माना जाता क्यों की
मंगल देवता द्वादश में अपने ही घर पर बैठे है( स्वराशि होकर ) जो की उस भाव को मजबूत बनाता है जिस कारण यहां मंगलीक भंग योग बनता है और मंगल देवता की आठवें भाव में दृस्टि विवाह की स्थिरता देगी ।
अगर लग्नेश बलि हो तो मंगल विपरीत राजयोग में आएगा जो की मंगलीक भंग योग बनता है ।
विपरीत राजयोग -जो ग्रह बुरे भाव में बैठ कर भी अच्छा फल देने के लिए बाध्य होता है।
स्वराशि -ज्योतिष के मुताबिक सबसे अच्छा ग्रह स्वराशि होता है क्यों की उसका अपना ही घर होता है जो की खुद
को नुकसान नहीं पहुंचाएगा उल्टा अपनी रक्षा करेगा ।
नोट – ग्रह की डिग्री वाइज बलाबल और बल अवश्य देख लें ।