विष योग-VISH YOGA
विष योग-
लग्न कुंडली मे शुभ और अशुभ योगों का बहुत महत्व है ज़ब कोई शुभ योग बनता है लग्न कुंडली मे तो जातक को सुख सुविधाओं से भरपूर कर देता है हर तरह की इच्छा पूरी होती ज़ब अशुभ योग हो तो बिलकुल ही इसी के उल्ट ही फल मिलता है जो की विष योग एक तरह का अशुभ योग ही माना जाता है ज्योतिष में !
किस तरह बनता है विष योग -शनि और चंद्र की युति द्वारा और इनकी आपस में दृष्टीयों के द्वारा विष योग बनता है ! शनि की तीन दृष्टियां (3,7,10वीं दृष्टी) और चंद्र की एक (7वीं दृष्टी ) लग्न कुंडली में आपस में हो तब विष योग बनता है !
विष योग का अशुभ प्रभाव –
लग्न कुंडली में अगर विष योग बन रहा हो शनि +चंद्र की युति या दृष्टी से तो जातक का मन, दिमाग़ नेगेटिव ज्यादा होगा और अकेलापन महसूस ज्यादा करेगा परिवार से अलगाव रखेगा और माता से कम बनेगी, माँ से पीड़ित होना, माँ की तबियत ठीक ना रहना जातक को मृत्यु का डर, दुःख, अपमान, नकरात्मक विचार ज्यादा होना, झगड़ालू स्वभाव, और माता की आयु को कम कराता है ! मजदूरों या जरूरत मंद वालों की कम इज़्ज़त करता होगा !
उपाय – विष योग के लिए सबसे बेहतर उपाय शिवजी का मंत्र ही है !
1.ॐ नमः शिवाय
2.महा मृत्युंजन मंत्र का जाप
3.हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमान जी की उपासना!
4.ॐ शनये नमः का जाप !
5.ॐ चन्द्र्मस्य का जाप करें !