विष योग वृष लग्न पार्ट -1
वृष लग्न की कुंडली मे लग्न में बैठे शनि और चंद्र देव विष योग बनाएंगे लेकिन ध्यान देने योग्य बात यही है की विष योग बनने का कारण चंद्र देव होंगे ना की शनि देव चंद्र देव तीसरे भाव के मालिक होने की वजह से मारक हुए जिस कारण चंद्र देव विष योग बनाएंगे अर्थात चंद्र देव शनि देव को खराब करेंगे यानि शनि देव जी का अच्छा फल देने मे कमी लाएंगे तो यहाँ विष योग के दुष्परिणाम से बचने के लिए सिर्फ चंद्र देव जी का ही दान, पाठ पूजा, उपाय होगा ! शनि देव वृष लग्न मे लग्न मे बैठे अति योग कारक हुए जो की भाग्य और कर्म भाव के मालिक है इसलिए इस विष योग बनने की वजह चंद्र देव को जाती है !
फल -लग्न भाव मे बैठे मारक चंद्र देव मेहनत ज्यादा, मेहनत का फल पूरा ना मिलना और सातवीं दृष्टी चंद्र देव की साझेदारी मे दिक्कत, पति -पत्नी से मन मुटाव करवाएगा !लग्न भाव मे बैठे शनि देव अति योग कारक है जो की अच्छी पर्सनालिटी, ऊँचा कद,और जातक समझदार होगा, शनि देव जी की तीसरी दृष्टी तीसरे भाव पर पड़ने से जातक को कम मेहनत मे ज्यादा फल, पराक्रमी, छोटे भाई बहन से अच्छे सम्बन्ध,गुप्त शत्रु से विजय प्राप्त करने वाला होगा !सातवीं दृष्टी शनि देव जी की सातवें भाव पर पड़ने से जातक-जातिका का वैवाहिक जीवन सुखमय, अच्छी साझेदारी, रोजी रोजगार अच्छा कमाने वाला होगा ! दसवीं दृष्टी शनि देव जी की दसवें भाव पर पड़ने से जातक-जातिका खुद का कामकाज होगा, अच्छे कर्म करने वाला, कारोबार मे तरक्की, राजनीती मे तरक्की,और पिता की सेवा करने वाला होगा !
नोट -ग्रहों की दशा-महादशा और डिग्री वाइज बलाबल अवश्य देख लें !
ध्यान दें -दशा -महादशा और गोचर के अनुसार जातक को नीलम भी पहनाया जा सकता है !
उपाय -1.शिवलिंग पर दूध चढ़ाये हर सोमवार !
2.पीपल को जल दें ! (रविवार छोड़ कर )
3.हर सोमवार सफ़ेद चीज़ें दान करें या चींटियों को चीनी डालें !
4.ॐ नमः शिवाय का पाठ करें !
5.शनि का दान कदापि ना करें !
6.ॐ चन्द्रमसे नमः का पाठ भी कर सकते है !
7.मंत्र जाप के बाद अरदास अवश्य करें !
8.महा मृत्युंजय मंत्र का भी पाठ करें !