विष योग मेष लग्न पार्ट -13
मेष लग्न की कुंडली मे दसवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव अतियोगकारक होने के कारण विष योग नही बनाएंगे ! दसवें भाव मे शनि देव स्वग्रही सबसे अच्छा ग्रह होकर केंद्र मे बैठे है जो की व्यपार के लिए बहुत ही अच्छा होगा !और चंद्र देव भी केंद्र मे बैठ कर सुख सुविधाएं पुुरी करवाएगा !
फल -दसवें भाव मे स्वग्रही होकर बैठे शनि देव तीसरी दृष्टी बारहवें भाव पर पड़ने से जातक क़र्ज़ मुक्त,पत्नी से रिलेशन अच्छे,विदेश मे कामकाज सेटल भी हो जाता है ! सातवीं दृष्टी चौथे भाव पर पड़ने से शनि देव माता सुख, मकान,गाड़ी,व्यापार,अचल सम्पति की प्राप्ति होती है !दसवीं दृष्टी शनि देव जी सातवें भाव पर पड़ने से कारोबार मे अच्छी साझेदारी, जीवन साथी भी कारोबार मे मदद करने वाला,अच्छा बिल्डर, पिता द्वारा कारोबार से लाभ प्राप्ति होती है ! चंद्र देव की सातवीं दृष्टी चौथे भाव पर अपनी ही राशि पर पड़ने से जातक को माता का सुख, जमीन जायदाद, गाड़ी,बड़े दिल वाला और अच्छे कर्म करने वाला होता है !
नोट -ग्रहों की दशा -महादशा और डिग्री वाइज बलाबल अवश्य देख लें !
ध्यान दें -दशा-महादशा और गोचर के अनुसार मोती भी पहन सकते है जो की भाग्य के लिए अति उत्तम है !