विपरीत राज योग-परिभाषा
परिभाषा -अगर लग्न कुंडली में त्रिक स्थान का मालिक (६,८,१२) त्रिक स्थान में ही बैठा हो तो वो अपनी दशा ,अन्तरदशा में सदैव अच्छा फल देता है पर लग्नेश बलि अवश्य होना चाहिए ।
लेकिन
अगर लग्न कुंडली में लग्नेश बलि न हो तो विपरीत राजयोग की स्तिथी में कभी अच्छा फल नहीं देंगे या पूर्णत फलत नहीं होगा ।अगर लग्नेश बलि ना हुआ तो विपरीत राजयोग अच्छा या पूरा फल नहीं देगा ।
लग्न -खुद मतलब की आप खुद बलि इतना होना चाहिए की आप शत्रुओं से भी अच्छा फल ले सको या ले सकते हो ।इसलिए लग्नेश बलि होना अति आवश्यक है ।
विपरीत राजयोग तीन किस्म के होते है ।
१.हर्ष विपरीत राजयोग
२.सरल विपरीत राजयोग
३.विमल विपरीत राजयोग
नोट -आगे की पोस्ट पर उदाहरण सहित बताया जायेगा ।