विष योग मेष लग्न पार्ट -8
मेष लग्न की कुंडली मे पांचवेें भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग नही बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव पांचवें भाव मे सम होकर बैठे है और चंद्र देवता अतियोगकारक होकर अपनी ही राशि मे बैठे है जिस कारण इस लग्न कुंडली मे विष योग भंग हो रहा है अर्थात विष योग नही बन रहा यहाँ दोनों ग्रह अच्छे फल देंगे ना की बुरा !
फल -यहाँ पर शनि देव की तीसरी दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ने से विवाह का सुख देगा,जीवन साथी अच्छा मिलेगा,व्यापारिक साझेदारी अच्छी रहेगी,दैनिक आय अच्छी होगी,सातवीं दृष्टी दशम भाव पर पड़ने से कर्म अच्छे करने वाला होगा जातक, सामाजिक कार्य मे नाम होगा, नौकरी या व्यापारी मे बेहतर होगा, पिता से व्यापारिक तोर पर लाभ प्राप्त होगा, शनि देव की दसवीं दृष्टी प्रथम भाव पर पड़ने से शरीर बलवान, आत्म विश्वास बली और स्वभाव भी अच्छा होगा ! चंद्र की सातवीं दृष्टी ग्यारहवें भाव पर पड़ने से आमदनी मे लाभ, मित्रों से अच्छा स्वभाव या उनसे लाभ मिलना, बड़े भाई से लाभ, इच्छा पूर्ति जल्द पूरी होती है !
नोट -ग्रहों की दशा-महादशा और डिग्री वाइज बलाबल अवश्य चेक करें !