मांगलिक योग -MANGLIK YOGA
मांगलिक योग
सबसे पहले यह जानना आवश्यक है की मंगलीक दोष नहीं एक योग होता है,वास्तव में किसी भी कुंडली में मांगलिक एक दोष नहीं योग माना जाता है परन्तु बहुत से ज्योतिषी मांगलिक दोष कह कर लोगों के मनों को डर और वहम से भर देते है । अगर मांगलिक योग के बारे में सही ढंग से पढ़ा और समझा जाये तो मांगलिक होना कोई दुःख की बात नहीं,अक्सर देखा जाता है किसी के भी माता पिता को अपने पुत्र और पुत्री के मांगलिक योग होने पर घबरा जाते है या मन में डर पैदा हो जाता है लेकिन ऐसा नहीं है इसलिए मांगलिक के बारे में अच्छी तरह समझ लेना ही आवश्यक है ।
हर इंसान को यह बात अवश्य जान लेना चाहिए की मांगलिक योग को मंगल ग्रह से देखा जाता है,मंगल लग्न कुंडली में किस स्थान में या कौन से भाव में बैठा है उसके अनुसार मांगलिक योग को देखा जाता है ।
हर इंसान यह जानता है की मंगल ग्रह मानव के शरीर का प्रतीक माना जाता है और विवाह के संबंध में मुख्या भूमिका होती है मांगलिक योग की क्यों की विवाह वह संस्था है जो हमारे शरीर की आवश्यकताओं को पूरा करता है और आगे पीढ़ियों में सहायक होता है और इन दोनों कार्यों के लिए शरीर का होना आवश्यक है । प्रत्येक इंसान को अपना जीवन सम्पूर्ण बनाने के लिए एक साथी की आवश्यकता होती है ।
वास्तविक में मंगलीक योग के बारे में न तो – युर्ज वेद ,अथर्व वेद और ना ही ऋग्वेद में लिखा है ।
मांगलिक के बारे में इन वेद पुस्तकों की रचना के बाद ही लिखा गया है । इस योग के बारे में
“फलित-ज्योतिष”, “फलित-मारतुण्ड”,और “मुहूर्त -चिंतामणि” में विवरण मिलता है।
मंगल ग्रह के बारे में
मूल त्रिकोण राशि -मेष
उच्च राशि -मकर
नीच राशि -कर्क
रत्न -मूंगा
जात-क्षत्रिय
तत्व -अग्नि
धातु -ताम्बा,कांस्य,सोना
कारक-जमीन,छोटा भाई
मंगल ग्रह का लिंग -पुरुष
वैदिक मंत्र -ॐ भौमाय नमः
यदि मंगल ग्रह लग्न कुंडली में पहले भाव,चौथे भाव,सातवें भाव,आठवें भाव और बाहरवें भाव में बैठा हो तो वह कुंडली मंगलीक योग मानी जाती है ।