ग्रहों की दृष्टियां –
ग्रहों की दृष्टियां –
ग्रहो की दृष्टियों को जानने से पहले यह जानना होगा की इन दृष्टियों को इस विद्या में क्या अर्थ है? असल में दृष्टियों का अर्थ यही समझा जाता है की किसी भी चीज़ को नेत्रों से देखना क्यों की दृष्टियां नेत्रों की ही होती है ।लेकिन इस विद्या में दृष्टि का अर्थ उस ग्रह का प्रभाव दूसरे भावों पर पड़ना होता है जैसे की एक टार्च एक जगह पर चलती है लेकिन उसकी रौशनी या किरणे दूसरी जगह पर पड़ती है। उसी तरह ग्रह अगर एक भाव में बैठा हो तो उसका असर दूसरे भावों पर पड़ता है जिसे ज्योतिष विद्या में उसको दृष्टि कहते है ।
यदि ग्रह योगकारक हो तो उसकी दृष्टियां भी अच्छा फल देगी ।
यदि ग्रह मारक हो तो उसकी दृष्टियां भी बुरा फल देगी ।
जिस घर में ग्रह बैठा हो वहां तो फल देता ही है साथ में जहाँ दृष्टियां पड़े वहां भी वही फल देगा दृष्टियों का पूरा मतलब यही है इस विद्या में।
ग्रह -दृष्टियां
सूर्य -७
चंद्र -७
राहु -५,७,९
गुरु -५,७,९
शनि -३,७,१०
बुध -७
केतु -५,७,९
मंगल -४,७,८
शुक्र -७
नोट – हर ग्रह की सप्तम दृष्टि जरूर है इस का बात ध्यान जरूर रखें ।