गोचर का विवेचन-Transit In Birth Chart
गोचर का विवेचन-गोचर कैसे देखें जन्म कुंडली में।
गोचर जन्म कुंडली का विस्लेषण करते समय बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
इसलिए लग्न कुंडली की विवेचना (व्याख्या) करते समय इस का खास ध्यान रखना चाहिए।
गोचर को सदा लागु करते समय यह ध्यान रखे की गोचर जन्म लग्न कुंडली का आधार होता है।
और वह जन्म लग्न कुंडली पर ही लागु किया जाता है। अगर ग्रह जन्म कुंडली में अच्छा (योगकारक) है तो गोचर में जहाँ भी जायेगा अच्छा फल देगा,अगर जन्म कुंडली में ग्रह बुरा (मारक) है तो गोचर में कहीं भी जायेगा ग्रह वहां बुरा फल ही देगा। अगर जन्म कुंडली में ग्रह वक्री हो और अच्छा (योगकारक) हो तो गोचर में जहाँ भी जायेगा अच्छा फल ही देगा,बिलकुल इसके उल्ट अगर मारक हो तो गोचर में जहाँ भी जायेगा बुरा प्रभाव ही देगा।
जन्म कुंडली में ग्रह जिस क्षमता का हो गोचर में भी उतनी क्षमता के अनुसार ही फल देगा चाहे गोचर में उसकी क्षमता का रोज़ ही बदलाव क्यों ना हो।
जन्म कुंडली ही गोचर का आधार है।
दो ग्रहों का गोचर (शनि और गुरु ) खास महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
शनि देव (समय का कारक) है । किसी भी कार्य का होना शनि देव निरधारित करते है।
गुरु देव देवताओं के गुरु हर कार्य के होने की इज़ाज़त(आज्ञा ) देते है।