मांगलिक भंग योग-MANGLIK BHANG YOGA
मांगलिक भंग योग
अभी तक अपने सीखा की मांगलिक योग कैसे होता है लेकिन यह बात ध्यान देने योग्य है की कुछ
कारणवश मांगलिक योग भंग भी हो जाता है । परन्तु अल्प-ज्ञानी ज्योतिष एवं पंडित मांगलिक योग का
परिहार कैसे होता है जानते ही नहीं और लोगों को गुमराह करते है । शास्त्रों में बताये गए मंगली-भंग योग की जानकारी लेकर आप पाएंगे की कोई -कोई व्यक्ति (जातक-जातिका) ही मांगलिक होता है तकरीबन मांगलिक भंग ही होता है । शास्त्रों में लिखे गए श्लोकों का प्रमाण देते हुए मंगली-भंग योग का विवरण दे रहा हूँ ।
१.जामित्रे च यदा शोरी लग्ने बा हिबुके जथा ।
अष्टमे द्वादशे चैव भौम दोषो न विधते ॥ (ज्योतिष सर्वस्या)
अर्थात :अगर जन्म कुंडली में लग्न में,चौथे भाव,सप्तम भाव,अष्टम भाव,और बाहरवें भाव शनि देवता विराजमान हो,तो जातक का मंगली-भंग योग बनता है या कह सकते है की वो जातक मांगलिक नहीं है ।
२.तनु धन सुख मदना युलार्भ व्ययग :कुजस्तु दाम्पत्यम ।
विघटयति तद -ग्रहशो न विघटयति तुगमित्रेगेहेवा ॥ (मुहूर्त चिंतामणि )
अर्थात:प्रथम भाव,दुसरे भाव,चोथे भाव,पांचवें,आठवें,बाहरवें भावों में बैठा मंगल वर-वधु के वैवाहिक जीवन में विघटन पैदा करता है परन्तु अपने घर अर्थात स्वग्रही मंगल (मेष,वृश्चिक का)या उच्च का (मकर)या मित्र क्षेत्रीय मंगल दोष कारक नहीं है ।
३.सबले गुरौ भृगौ वा लग्ने द्यूनगेऽयि वाऽथवा भौमे । ।
वक्रिणि नीचारि – गृहस्थे वाऽर्क स्थेऽपि वा न कुज दोषः । । ( फलित मार्तण्ड )
अर्थात:जन्म कुंडली में बलि गुरु और शुक्र लग्न में या सप्तम भाव में हो परन्तु शुक्र मंगल के साथ न हो,अथवा मंगल वक्रीय,नीच या शत्रु के घर में हो,या सूर्य से अस्त हो तो मंगलीक योग नहीं बनता ।
४.अगर गुरु देवता योगकारक होकर कुंडली में कहीं से भी मंगल पर दृस्टि डाल दें या देखे तो मांगलिक योग भंग होता है क्यों की गुरु देवता सबसे शुभ ग्रह माने जाते जिससे मंगल के बुरे प्रभाव को कम करता है।
५.अगर मंगल देवता योगकारक होकर उच्च के हो जाये तो भी मांगलिक भंग योग बनता है क्यों की अच्छा ग्रह वो भी उच्च का कभी बुरा फल नहीं देगा ।
६.अगर लग्न कुंडली में मंगल देवता गुरु देवता के साथ युति बना ले तो भी मांगलिक योग भंग होता है क्यों की गुरु देवता की शुभता मंगल देव के बुरे प्रभाव को कम करता है ।
७.अगर मंगल देवता और चंद्र देवता की युति हो लग्न कुंडली में और दोनों योगकारक हो तो भी मंगलीक भंग योग बनता है क्यों की मंगल अग्नि तत्व है और चंद्र जल तत्व है जिस कारण मंगल का बुरा प्रभाव कम हो जाता है ध्यान देने योग्य बात यही है की चंद्र का बल ज्यादा होना चाहिए ।
८.अगर मंगल देवता लग्न कुंडली में योगकारक और सम होकर उच्च के और स्वराशि होकर केंद्र में १,४,७ भाव में बैठे हों तो भी मांगलिक भंग योग बनता है क्यों मंगल देवता रुचक नामक पंच महापुरुष योग बनाते है लेकिन डिग्री और बलाबल जरूर चेक कर लें।
९.अगर मंगल देवता राहु देवता के साथ युति बनाकर बैठे हों तो भी मांगलिक भंग योग बनता है ।
१०.अगर मंगल देवता ०° या २८° डिग्री के हों तो भी मांगलिक भंग योग बनता है क्यों
की मंगल देवता में बल ही नहीं तो वो बुरा प्रभाव कैसे देंगे ।
Contact Best Astrologer in India – Astrologer Ashwani Jain
एस्ट्रोलॉजर अश्वनी जैन बेस्ट एस्ट्रोलॉजर इन लुधियाना,से अपनी जन्मकुंडली दिखाएँ। आप उनसे व्हाट्सएप +91 9914012222, के माध्यम से ऑनलाइन परामर्श कर सकते हैं या info@astrologerashwanijain.com या jainashwani551@gmail.com पर ईमेल भेज सकते हैं।
Get your horoscope read from the best astrologer in ludhiana – Astrologer Ashwani Jain. You can consult him online via whatsapp +91 9914012222, or send an email at jainashwani551@gmail.com