मेष लग्न की कुंडली मे छठे भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव दोनों मारक होने के कारण विष योग बनाएंगे यहाँ पर दोनों ग्रह बुरा फल देंगे ! यहाँ दोनों का शनि और चंद्र का दान होगा.
मेष लग्न की कुंडली मे सातवें भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग नही बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव सप्तम भाव मे सम होकर उच्च के भी होकर बैठे है जो की योगकारक ग्रह
मेष लग्न की कुंडली मे आठवें भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव अस्टम भाव में मारक होकर बैठे है जो की अतिमारक ग्रह हुए और चंद्र देवता यहाँ अस्टम भाव
मेष लग्न की कुंडली मे नौवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव विष योग नही बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि और चंद्र दोनों ही योगकारक ग्रह है जो की चंद्र देव चौथे भाव के मालिक होकर नौवें
मेष लग्न की कुंडली मे दसवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव अतियोगकारक होने के कारण विष योग नही बनाएंगे ! दसवें भाव मे शनि देव स्वग्रही सबसे अच्छा ग्रह होकर केंद्र मे बैठे है जो की
मेष लग्न की कुंडली मे ग्याहरवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव अतियोगकारक होने के कारण विष योग नही बनाएंगे ! ग्याहरवें भाव मे शनि देव स्वग्रही सबसे अच्छा ग्रह होकर बैठे है जो की व्यपार, लाभ, इच्छा पूर्ति
मेष लग्न की कुंडली मे बारहवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव विष योग बनाएंगे क्यों यहाँ दोनों ग्रह शनि और चंद्र देव अतिमारक हुए जिस कारण विष बनता है यहाँ बैठे शनि और चंद्र देव जहां भी देखेंगे
वृष लग्न की कुंडली मे लग्न में बैठे शनि और चंद्र देव विष योग बनाएंगे लेकिन ध्यान देने योग्य बात यही है की विष योग बनने का कारण चंद्र देव होंगे ना की शनि देव चंद्र देव तीसरे भाव
वृष लग्न की कुंडली में तीसरे भाव मे बैठे शनि और चंद्र देवता दोनों ही विष योग बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव और चंद्र देव दोनों ही मारक है तो दोनों मारक होने के कारण विष योग बनाएंगे
वृष लग्न की कुंडली में पांचवे भाव मे बैठे चंद्र और शनि देव विष योग बनाएंगे लेकिन विष योग बनने की वजह चंद्र देव ही होंगे क्यों की चंद्र देवता इस लग्न कुंडली मे मारक है !शनि देवता विष
वृष लग्न की कुंडली मे छठे भाव मे बैठे चंद्र और शनि देव विष योग बनाएंगे क्यों की दोनों ग्रह इस लग्न कुंडली मे मारक है और भाव भी छठा जो की त्रिक स्थान है जो की अच्छा
वृष लग्न की कुंडली मे सातवें भाव मे बैठे चंद्र और शनि देव विष योग बनाएंगे लेकिन ध्यान देने योग्य बात यही है की यहाँ चंद्र देवता नीच के हो गए है और शनि देव योगकारक हुए तो विष
पुखराज रत्न कब धारण करें ?
पुखराज मिथुन लग्न
मिथुन लग्न की कुंडली मे 1,2,4,5,7,9,10,11 भावों अगर गुरु देव बैठे हो तो पुखराज रत्न धारण किया जा सकता है !धारण करने की विधि-धातु-सोना,पीतल, पक्ष-शुक्लऊँगली-तर्जनी,दिन-गुरुवारसमय-सूर्य उदय
पुखराज रत्न कब धारण करें ?
कर्क लग्न की कुंडली मे 1,2,4,5,9,10,11 भावों अगर गुरु देव बैठे हो तो पुखराज रत्न धारण किया जा सकता है !धारण करने की विधि-धातु-सोना,पीतल, पक्ष-शुक्लऊँगली-तर्जनी,दिन-गुरुवारसमय-सूर्य उदय के एक घंटे के अंदर!ध्यान
दशम भाव का मालिक शनि सप्तम भाव में उच्च के हो और चंद्र ग्रह साथ हो तो जातक प्रॉपर्टी सम्बन्ध कार्य या पार्टर्नशिप करके सफलता प्राप्त कर सकता है।
अगर दशम भाव का स्वामी शनि छठे भाव में हो और
विष योग वृष लग्न पार्ट-9
वृष लग्न की कुंडली मे नौवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देवता विष योग बनाएंगे लेकिन ध्यान देने योग्य बात यही है की यहां चंद्र देवता मारक होने की वजह से विष योग
पुखराज रत्न कब धारण करें ?
उपयुक्त रत्न पुखराजसिंह लग्न की कुंडली मे 1,2,4,5,7,9,10,11 भावों अगर गुरु देव बैठे हो तो पुखराज रत्न धारण किया जा सकता है !धारण करने की विधि-धातु-सोना,पीतल, पक्ष-शुक्लऊँगली-तर्जनी,दिन-गुरुवारसमय-सूर्य उदय के एक घंटे
क्या आप जानते है ?कन्या लग्न कुंडली में कब पुखराज रत्न पहन सकते है ?
कन्या लग्न की कुंडली मे 1,2,4,7,9,10,11 भावों अगर गुरु देव बैठे हो तो पुखराज रत्न धारण किया जा सकता है !धारण करने
त्रिशक्ति रत्न कब पहने?मिथुन लग्न..
मिथुन लग्न जन्मकुंडली मे ज़ब त्रिकोण के स्वामी बुध,शुक्र,शनि तीनो ग्रह या इनमे से कोई भी ग्रह इन भावों मे बैठे हो तो त्रिशक्ति रत्न पहन सकते है !
ध्यान दें-शनि देव जी की साढ़ेसाती
त्रिशक्ति रत्न कब पहने?कर्क लग्न…
कर्क लग्न की जन्मकुंडली मे त्रिकोण भाव के स्वामी चंद्र,मंगल,गुरु ज़ब 2,4,9,10,11 इन्ही भावों मे तीनो ग्रह या इनमे से कोई भी ग्रह बैठे हो तो त्रिशक्ति रत्न पहन सकते है !और अधिक जानकारी