ग्रहों के रंग-:
ग्रह -रंग
सूर्या-संतरी
चंद्र -सफ़ेद
मंगल -लाल
बुध -हरा
गुरु -पीला
शुक्र -चमकीला सफ़ेद
शनि -काला
राहु -नीला
केतु -भूरा
नोट -आपकी लग्न कुंडली में जो भी ग्रह योगकारक हो उनका रंग पहनने से उनका बल और
ग्रहों की दृष्टियां –
ग्रहो की दृष्टियों को जानने से पहले यह जानना होगा की इन दृष्टियों को इस विद्या में क्या अर्थ है? असल में दृष्टियों का अर्थ यही समझा जाता है की किसी भी चीज़ को नेत्रों से
वक्रीय ग्रह-:
परिभाषा-सभी ग्रह अपनी चल चलते-चलते वक्रीय होते है। सूर्य और चंद्र कभी भी वक्रीय नहीं होते और राहु केतु सदैव वक्रीय रहते है।जब कोई लग्न कुंडली में ग्रह वक्रीय होता है तो उसके परिणाम तीन गुना बढ़ जाता
ग्रह और ग्रहों के देवता
ग्रह -ग्रहों के देवता
सूर्य -ब्रह्मा देवता
चंद्र -शिवजी,शेरांवाली माता
मंगल -हनुमान देवता,बजरंग बलि
बुध -दुर्गा माता (कंजक)
गुरु -विष्णु देवता
शुक्र -वैभव लक्ष्मी,संतोषी माता,लक्ष्मी माता
शनि -कृष्ण देवता,कान्हा देवता
राहु -भैरव जी,शिवजी
केतु -गणेश
गंडमूल नक्षत्र -:
अश्विनी
अश्लेषा
मघा
मुला
ज्येष्ठा
रेवती
अगर दशा का प्रारम्भ केतु की दशा या बुध की दशा से होता है तो बच्चा गंडमूल में पैदा होता है ।
बच्चों को तुलसी तुलसी के पौधे को पानी देने से बुद्धि का विकास होता है।
तुलसी के पौधे को रोज़ घी का दिया जलाने से भी बुद्धि का विकास होता है।
सोते समय मोबाइल फ़ोन के साथ पानी नहीं रखना
क्या आप जानते है?राशि के स्वामी कौन है?और उनकी मूल त्रिकोण राशि क्या है?राशि के तत्व क्या है?और राशि की क्या विशेषताएं है ?तो यहां मैंने सभी की राशि की विशेषताएं,स्वामी,मूल त्रिकोण,तत्व के बारे में बताया है जबकि यह
ग्रहों के तत्व -:
ग्रह तत्व
सूर्य,मंगल अग्नि
शुक्र,चंद्र जल
बुध
मकर के शनि 24-1-2020 से 17-1 2023 तक रहेंगे तो इस वीडियो मे मेष लग्न की कुंडली वालों के लिए साढ़ेसाती अच्छा या बुरा प्रभाव देगी लेकिन कैसे? इस वीडियो मे बताया गया है !मेष लग्न वालों के कुम्भ राशि
मेष लग्न की कुंडली मे सातवें भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग नही बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव सप्तम भाव मे सम होकर उच्च के भी होकर बैठे है जो की योगकारक ग्रह हुए और
मेष लग्न की कुंडली मे पांचवेें भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग नही बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव पांचवें भाव मे सम होकर बैठे है और चंद्र देवता अतियोगकारक होकर अपनी ही राशि मे बैठे
मेष लग्न की कुंडली मे चौथे भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग नही बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव चौथे भाव मे सम होकर बैठे है और चंद्र देवता अतियोगकारक होकर अपनी ही राशि मे बैठे
मेष लग्न की कुंडली मे तीसरे भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव दोनों मारक होने के कारण विष योग बनाएंगे यहाँ पर दोनों ग्रह बुरा फल देंगे ! यहाँ दोनों का शनि और चंद्र का दान होगा.
फल -लग्न
लग्नेश का दान करें या ना करें
लग्न कुंडली मे ज़ब लग्नेश मारक हो यानि छठे, आठवें, बाहरवें भाव मे हो तो ज्यादातर यह समस्या रहती है के लग्नेश का दान करना चाहिए के नही ! लग्नेश का दान हर
मेष लग्न की कुंडली मे दूसरे भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग नही बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव दूसरे भाव मे सम होकर बैठे है और चंद्र देवता अतियोगकारक होकर उच्च के होकर बैठे है
मेष लग्न की कुंडली मे लग्न मे बैठे नीच के शनि देव मारक होकर दसवीं दृष्टी दसवें भाव में बैठे अतियोगकारक चंद्र देव को देख रहे है जिस कारण विष योग बनता है लेकिन ध्यान देने योग्य बात यही है
मेष लग्न की कुंडली मे लग्न मे बैठे नीच के शनि देव मारक होकर सातवीं दृष्टी सातवें भाव में बैठे अतियोगकारक चंद्र देव को देख रहे है जिस कारण विष योग बनता है लेकिन ध्यान देने योग्य बात यही है
मेष लग्न की कुंडली मे लग्न में बैठे शनि देव नीच के होकर तीसरे भाव मे मारक होकर बैठे चंद्र देव पर तीसरी दृष्टी से देख रहे है जिस कारण विष योग बन रहा है इस लग्न कुंडली मे !