व्यपार करने वालों को अक़्सर व्यपार ना चलने की यह समस्या आखिर आती रहती है उनका एक लक्ष्य होता है के उनका व्यापार चलता रहें इतना उपाय टोटके करने के बावजूद भी आखिर उनका व्यापार मंदा ही रहता है
मेष-खर्चे कम होंगे विदेश मे रुका हुआ कार्य और तरक्की होने के चांस |
वृष-इच्छा पूरी होने के संकेत |
मिथुन-व्यवसाय मे लाभ |
कर्क-भाग्यउदय |
सिंह-स्वास्थ्य का ध्यान रखें |
कन्या-विवाह का योग, साझेदारी मे लाभ |
तुला-लड़ाई झगड़े
दीपावली पूजन और समय
दीपावली पूजन कब और कैसे करें ?कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीपावली का महापर्व मनाया जाता है। इस वर्ष वृषपतिवार 4 नवंबर 2021 दीपावली पर्व मनाया जायेग। हिन्दुओं पर्व यह महत्वपूर्ण पर्वों में
राहु चंद्र ग्रहण भंग योग सभी लग्न
राहु चंद्र से ग्रहण योग होता है तो ग्रहण भंग योग भी बनता है बहुत कम जानकारों को इसका ज्ञान होता है। उदाहरण के तौर पर मैंने सभी लग्न वालों के लिए कहां-कहां
हम अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुनते हैं, कि मैंने कभी कोई बुरा काम नहीं किया, फिर भी मैं बीमारियों से परेशान हूँ।ऐसा मेरे साथ क्यों हो रहा हैं ?
क्या भगवान बहुत कठोर और निर्दयी
क्या आप जानते है अंगारक भांग योग कैसे होता है ?
राहु और मंगल की युति से अगर अंगारक योग होता है तो अंगारक भंग योग भी बनता है बहुत कम जानकारों को इसका ज्ञान होता
बुध ग्रह 25 जनवरी 2021 को कुंभ राशि मे गोचर करेंगे शाम 4 बजकर 19 मिनट पर जो की 1 अप्रैल 2021 तक रहेंगे!
बुध ग्रह के कारकेत्वबुध ग्रह को बुद्धि,पढ़ाई,वाणी,व्यापार, गला, फेफड़े,अकाउंटेंट,स्किन,ज्योतिष,भाषण का कारक माना जाता
मंगलीक योग होता है तो मंगलीक भंग योग भी होता है।
इस वीडियो मे यह बताने की पूरी कोशिश की गई है की किसी कारणवश मांगलिक योग भंग भी हो जाता है । परन्तु अल्प-ज्ञानी ज्योतिष
जानिए चंद्र ग्रह अनुसार एक ऐसा रहस्य जाने खुद ही यात्रा और शुभ कार्य मे सफलता मिलेगी या नहीं
https://youtu.be/K1yNS57u0jk
दीपावली पर प्रमुख नगरों के लिए महालक्ष्मी पूजन मुहूर्त
14/11/2020 दिन शनिवार
महालक्ष्मी पूजन प्रदोष काल मे किये जाने विधान है प्रदोष काल सूर्यास्त के पश्चात 1 घंटे का लिया गया है !इसके इलावा आधुनिक ज्योतिष मे महालक्ष्मी पूजन स्थिर
दिवाली पर कुछ खास उनके उपाय जिनके ग्रहों से हमें बहुत डराया जाता है
जैसे की शनि,राहु और केतु !जिसकी भी लग्न कुंडली मे शनि, राहु केतु नीच के और मारक हो या 6,8,12 भाव मे बैठे हो या फिर
राहुदेव फलादेश वृश्चिक लग्न 7 से 12 भाव
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई भी स्वराशि नहीं होती,राहु और केतु देवता मित्र राशि या उच्च हों और अच्छे भाव मे बैठे हो तो अच्छा फल
कार्तिक मास,उपाय,और फलादेश
कार्तिक मास 18-10-2020 से 21-11-2020 तक !
जन्मकुंडली मे ज़ब सूर्य देव तुला राशि या नीच के हो तो उस जातक को कार्तिक की पूजा या सूर्य देव के दान अवश्य करने चाहिए,ज़बकी लग्न कुंडली मे सूर्य
गोचर कैसे देखें? राहु-केतु 23-9-2020
आज हम बात करते है गोचर के राहु केतु के बारे मे जो की 23 सितम्बर 2020 को वक्री होकर वृष और वृश्चिक राशि उच्च के होकर आ रहें है जो की 12 अप्रैल 2022
केतुदेव फलादेश 7 से 12 भाव कर्क लग्न…
7.सातवां भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र,भाव-अच्छा
8.आठवां भाव फल-बुरा,राशि-मित्र,भाव-बुरा
9.नवम भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
10.दशम भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
11.ग्यारहवां भाव फल-बूरा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
12.बारहवां भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-बुरा
अक्सर हमें केतु देवता से डराया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है !
लग्न
केतुदेव फलादेश 1 से 6 भाव कर्क लग्न
अक्सर हमें केतु देवता से डराया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है !
1.पहला भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव अच्छा
2.दूसरा भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
3.तीसरा भाव फल-बुरा,राशि-मित्र,भाव-बुरा
4.चौथा भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र, भाव-अच्छा
5.पांचवां भाव फल-अच्छा,राशि-उच्च,भाव-अच्छा
6.छठा भाव
अक्सर हमें राहु देवता से डराया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है !
राहुदेव फलादेश 7 से 12 भाव कर्क लग्न..
7.सातवां भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र,भाव-अच्छा
8.आठवां भाव फल-बुरा,राशि-मित्र,भाव-बुरा
9.नवम भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
10.दशम भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
11.ग्यारहवां भाव फल-अच्छा,राशि-उच्च,भाव-अच्छा
12.बारहवां भाव फल-बुरा,राशि-उच्च,भाव-बुरा
राहुदेव फलादेश 1 से 6 भाव कर्क लग्न…
1.पहला भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव अच्छा
2.दूसरा भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
3.तीसरा भाव फल-बुरा,राशि-मित्र,भाव-बुरा
4.चौथा भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र, भाव-अच्छा
5.पांचवां भाव फल-अच्छा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
6.छठा भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-बुरा
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई
केतुदेव फलादेश 7 से 12 भाव मिथुन लग्न…
7.सातवां भाव फल-अच्छा,राशि-उच्च,भाव-अच्छा
8.आठवां भाव फल-बुरा,राशि-मित्र,भाव-बुरा
9.नवम भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र,भाव-अच्छा
10.दशम भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
11.ग्यारहवां भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
12.बारहवां भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-बुरा