ज्योतिष के सूत्र-ASTROLOGY FORMULA
१.जल प्रवाह २.दान पुण्य ४.पाठ-पूजन ५.रत्न धारण
१.जल प्रवाह- यदि कोई भी ज्योतिष या विद्वान कोई भी वस्तु जल प्रवाह करने के लिए कहता है तो इसका अर्थ यही है जिस ग्रह सम्बंधित वह वस्तु है,उस वस्तु को पानी में डालने से उस ग्रह का प्रभाव शांत हो जाता है ।
२.दान-पुण्य-यदि कोई भी ज्योतिष या विद्वान कोई भी वस्तु दान करने के लिए कहता है तो इसका अर्थ यही है जिस ग्रह सम्बंधित वह वस्तु है,उस वस्तु को दान करने से उस ग्रह का प्रभाव कम हो जाता है क्यों की कुदरत का नियम है की जो चीज़ हम बाँट देते है वो अपने से कम हो जाती है ।
३.पाठ-पूजन -पूजा पाठ करने से ग्रह प्रसन्न होते है और उनसे हमें आशीर्वाद प्राप्त होता है।
४.रत्न धारण -यदि कोई भी ज्योतिष या विद्वान रत्न धारण करने के लिए कहता है तो इसका अर्थ यह हुआ की जिस ग्रह बल उसके शरीर में बढ़ाना है,उस ग्रह के रत्न पहनने से उस ग्रह का बल रत्न की किरणों के माध्यम से बढ़ जायेगा।
नोट-जिस ग्रह का रत्न धारण करना है उसका ग्रह का कभी भी दान नहीं करना चाहिए ।