दशम भाव मे बैठे शनि चंद्र विष योग बनाएंगे लेकिन यहां शनि नीच के होकर अति मारक हुए जो की बुरा फल देंगे और चंद्र देव की अच्छाई को भी कम करेंगे ! ध्यान दें अगर शनि नीच भंग
वृष लग्न की कुंडली मे दसवें भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग बनाएंगे लेकिन चंद्र देव कारण बनेंगे विष योग का शनि देव यहां अति योगकारक ग्रह होने की वजह से विष योग नही बनाएंगे
विष योग वृष लग्न पार्ट -8
वृष लग्न की जन्म कुंडली मे आठवें भाव मे बैठे शनि चंद्र देवता दोनों ही विष योग बनाएंगे क्यों यहाँ बैठे शनि चंद्र देवता दोनों ही मारक है और दोनों ही बुरा फल
मिथुन लग्न कुंडली में लग्न में बैठे शनि और चंद्र देव विष योग बनाएंगे लेकिन ध्यान देने योग्य बात यही है की यहाँ विष योग बनने का कारण लग्नेश बुध के अति शत्रु चंद्र देव होंगे ना की शनि
मिथुन लग्न की कुंडली मे दूसरे भाव मे बैठे चंद्र और शनि देवता विष योग बनाएंगे लेकिन यहां समझने बात योग्य यही है की यहां विष योग बनने का कारण चंद्र देवता होंगे ना शनि देवता चंद्र देवता शनि
विष योग वृष लग्न पार्ट -12
वृष लग्न मे बारहवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देवता विष योग बनाएंगे यहाँ दोनों ग्रह बुरा फल देंगे क्यों की चंद्र देवता बारहवें भाव मे मारक हुए और शनि देव नीच
तीसरे भाव मे बैठे दोनों ग्रह चंद्र, शनि मिथुन लग्न मे विष योग दोनों ही बनाएंगे क्यों की दोनों ग्रह इस लग्न कुंडली मे मारक है जिस कारण दोनों ग्रह बुरा फल देंगे !दोनों ग्रह अशुभ फल देंगे
पंचम भाव मे बैठे शनि चंद्र दोनों ग्रह मिथुन लग्न मे विष बनाएंगे लेकिन चंद्र देवता इस लग्न कुंडली मे लग्नेश के अति शत्रु होने की वजह से विष योग का कारण बनेगें और शनि से अच्छे प्रभाव
ग्रह कब खराब होते है और क्यों?
ग्रह कब खराब होते है और क्यों?
सूर्य -झूठे हाथ सिर पर लगने से, पिता सम्मान व्यक्ति की इज्जत ना करने से !
चंद्र -पानी व्यर्थ फैलाने से, माता की कद्र ना करना
धनु लग्न में बाहरवें भाव में मंगलीक भंग योग –
धनु लग्न में मंगल देवता अगर बाहरवें भाव में हो तो जातक मंगलीक नहीं होता क्यों की यहां पर मंगल ग्रह स्वराशि के हो जाने से मंगलीक योग का परिहार
मकर लग्न में चौथे भाव में मंगलीक भंग योग –
मकर लग्न में मंगल देवता अगर चौथे भाव में हो तो जातक मंगलीक नहीं होता क्यों की यहां पर मंगल ग्रह स्वराशि के होते है और रुचक नामक पंच महापुरुष
मकर लग्न में बाहरवें भाव में मंगलीक भंग योग –
मकर लग्न में मंगल देवता अगर बाहरवें भाव में हो तो जातक मंगलीक नहीं होता क्यों की यहां पर मंगल ग्रह गुरु देवता की मूल त्रिकोण राशि धनु में है
कुम्भ लग्न में बाहरवें भाव में मंगलीक भंग योग –
कुम्भ लग्न में मंगल देवता अगर बाहरवें भाव में हो तो जातक मंगलीक नहीं होता क्यों की यहां पर मंगल ग्रह उच्च के हो गए है। इसलिए मंगल के दोष
चंद्र देवता एक ऐसा ग्रह है जो ज्योतिष में सबसे तेज़ चाल से चलता है जिसका असर हमारे मन,मूड,मानसिक में भी फर्क पड़ता है वो भी बहुत तेज़ी से।चंद्र एक राशि में सवा २ दिन ही रहता है बल्कि बाकी
चंद्र देवता एक ऐसा ग्रह है जो ज्योतिष में सबसे तेज़ चाल से चलता है जिसका असर हमारे मन,मानसिक और स्वभाव में भी फर्क पड़ता है वो भी बहुत तेज़ी से।चंद्र एक राशि में सवा दो दिन ही रहता है
कन्या राशि में गोचर का चंद्र (शुभ/अशुभ )कैसे देखें
चंद्र देवता एक ऐसा ग्रह है जो ज्योतिष में सबसे तेज़ चाल से चलता है जिसका असर हमारे मन,मानसिक और स्वभाव में भी फर्क पड़ता है वो भी बहुत तेज़ी से।चंद्र
वृश्चिक राशि में गोचर का चंद्र (शुभ/अशुभ )कैसे देखें –
चंद्र देवता एक ऐसा ग्रह है जो ज्योतिष में सबसे तेज़ चाल से चलता है जिसका असर हमारे मन,मानसिक और स्वभाव में भी फर्क पड़ता है वो भी बहुत तेज़ी
मकर राशि में गोचर का चंद्र (शुभ/अशुभ )कैसे देखें –चंद्र देवता एक ऐसा ग्रह है जो ज्योतिष में सबसे तेज़ चाल से चलता है जिसका असर हमारे मन,मानसिक और स्वभाव में भी फर्क पड़ता है वो भी बहुत तेज़ी से।चंद्र
वृष लग्न में मंगलीक भंग योग –
वृष लग्न अगर मंगल देवता चौथे भाव में हो तो जातक/जातिका को मंगलीक नहीं माना जाता क्यों की
मंगल देवता चौथे भाव में चौथी दृष्टि अपने ही घर सातवें भाव पर पड़ती
शनि देव जी का ढैया –
जब गोचर का शनि जन्म कुंडली के चन्द्रमा से चौथे भाव या चौथी राशि में भ्रमण शुरू कर दे और आठवीं राशि में भ्रमण शुरू कर दे तो उस समय को शनि देव का