विदेश में हमेशा रहने-नौकरी-कामकाज-पढ़ाई-यात्रा का योग देखने के कुछ जरूरी बातें ध्यान में रखें ।
१.ग्रहों का बलाबल और डिग्री ।
२.ग्रहों की महादशा और अन्तर-दशा ।
३.चौथे भाव के स्वामी का बलाबल जितना कम होगा उतना जल्दी ही विदेश
जन्मकुंडली के उपाय के साथ साथ हमे वास्तु का ध्यान रखें तो और ज्यादा बेहतर रहता है।
घडी,दर्पण,वाश बेसिन,भगवान की फोटो,टीवी उतर,पक्षिम और पूर्व की दिशा में ही लगानी चाहिए ।
उतर,पक्षिम,और पूर्व की दिशा में फीका रंग करवाना चाहिए।
कुंडली के १२ भावों के नाम इस प्रकार है:-
१.तन भाव २.धन भाव
३.भ्राता भाव ४.माता भाव
५.संतान भाव ६.रोग भाव
७.जया भाव ८.आयु भाव
९.भाग्य भाव १०.कर्म भाव
११.लाभ भाव १२.खर्च भाव
गोचर का विवेचन-गोचर कैसे देखें जन्म कुंडली में।
गोचर जन्म कुंडली का विस्लेषण करते समय बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
इसलिए लग्न कुंडली की विवेचना (व्याख्या) करते समय इस का खास ध्यान रखना चाहिए।
गोचर को सदा लागु करते समय
सिंह लग्न में सातवें में भाव मंगलीक भंग योग-
सिंह लग्न की कुंडली में अगर मंगल देवता सातवें भाव में हो तो मंगलीक भंग योग बनता है क्यों की मंगल ग्रह इस लग्न कुंडली में अति योगकारक है और लग्नेश
मेष लग्न मे मंगलीक भंग योग –
ज्योतिष के मुताबिक मेष लग्न में सातवें भाव में बैठा मंगल अति योगकारक है और पंचमहापुरुष बना रहा है जिस कारण मंगलीक भंग योग बनता है !
पंचमहापुरुष योग -मंगल अगर केंद्र
तुला लग्न में प्रथम भाव में मंगलीक भंग योग-
तुला लग्न की कुंडली में अगर मंगल देवता पहले भाव में हो तो मंगलीक भंग योग बनता है क्यों की यहां बैठा मंगल अपनी सातवीं दृष्टी अपने ही घर पर पड़ती
बिसनेस करने वालों को ज्यादातर बिसनेस-दुकान ना चलने की यह समस्या आती रहती है उनका एक ही टारगेट होता है के
उनका बिसनेस चलता रहें लेकिन फिर भी इतने पूजा-पाठ,उपाय और टोटके करने के बावजूद
कन्या लग्न में बारहवें भाव में मंगलीक भंग योग-
कन्या लग्न की कुंडली में अगर मंगल देवता बारहवें भाव में हो तो मंगलीक भंग योग तब बनता है जब लग्नेश बुध बलि हो तो विपरीत राजयोग भी बनाता है जो
व्यपार करने वालों को अक़्सर व्यपार ना चलने की यह समस्या आखिर आती
रहती है उनका एक लक्ष्य होता है के उनका व्यापार चलता रहें इतना उपाय
टोटके करने के बावजूद
व्यपार करने वालों को अक़्सर व्यपार ना चलने की यह समस्या आखिर आती रहती है उनका एक लक्ष्य होता है के उनका
व्यापार चलता रहें इतना उपाय टोटके करने के बावजूद भी आखिर उनका
व्यपार करने वालों को अक़्सर व्यपार ना चलने की यह समस्या आखिर आती रहती है उनका एक लक्ष्य होता है के उनका व्यापार चलता रहें इतना उपाय टोटके करने के बावजूद भी आखिर उनका व्यापार मंदा ही रहता है
वृष लग्न की कुंडली मे सातवें भाव मे बैठे चंद्र और शनि देव विष योग बनाएंगे लेकिन ध्यान देने योग्य बात यही है की यहाँ चंद्र देवता नीच के हो गए है और शनि देव योगकारक हुए तो विष
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दीपावली पूजन और समय
दीपावली पूजन कब और कैसे करें ?कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीपावली का महापर्व मनाया जाता है। इस वर्ष वृषपतिवार 4 नवंबर 2021 दीपावली पर्व मनाया जायेग। हिन्दुओं पर्व यह महत्वपूर्ण पर्वों में
राहु चंद्र ग्रहण भंग योग सभी लग्न
राहु चंद्र से ग्रहण योग होता है तो ग्रहण भंग योग भी बनता है बहुत कम जानकारों को इसका ज्ञान होता है। उदाहरण के तौर पर मैंने सभी लग्न वालों के लिए कहां-कहां
दशम भाव का मालिक शनि सप्तम भाव में उच्च के हो और चंद्र ग्रह साथ हो तो जातक प्रॉपर्टी सम्बन्ध कार्य या पार्टर्नशिप करके सफलता प्राप्त कर सकता है।
अगर दशम भाव का स्वामी शनि छठे भाव में हो और
राहुदेव फलादेश वृश्चिक लग्न 7 से 12 भाव
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई भी स्वराशि नहीं होती,राहु और केतु देवता मित्र राशि या उच्च हों और अच्छे भाव मे बैठे हो तो अच्छा फल