१.चर लग्न वालों का भी विदेश में हमेशा रहने का योग जल्दी बनता है।
चर लग्न – (१,४,७,१०)
२.स्थिर लग्न वालों का और द्विस्वभाव लग्न वालों का भी विदेश योग देरी से बनता है ।
स्थिर लग्न – (२,५,८,११)
द्विस्वभाव
लग्न का स्वामी और चौथे भाव का स्वामी चर राशि (१,४,७,१०) में चला जाये तो भी विदेश में जाने का योग जल्दी बन जाता है ।
उदाहरण कुंडली (लग्न का स्वामी)
सातवें भाव में शनि,राहु,केतु या पाप प्रभाव हो तो,तो भी विदेश में शादी का योग बनता है।
उदाहरण कुंडली
बाहरवें भाव का मालिक का कोई कनेक्शन सातवें भाव से हो तो भी विदेश में शादी का योग बनता है।
उदाहरण कुंडली
दूसरे भाव का स्वामी अगर बाहरवें भाव में बैठा हो या फिर बाहरवें भाव से कोई भी सम्बन्ध हो,तो भी परिवार सहित विदेश में हमेशा रहने का योग बनता है।
उदारहण कुंडली
अगर बाहरवें भाव के स्वामी का सम्बन्ध पांचवें भाव में हो तो विदेश में पढ़ाई करने का या फिर पढ़ाई की मदद से विदेश यात्रा होती है।और जातक वहां हमेशा के लिए नागरिकता प्राप्त कर लेता है।
उदारहण कुंडली
अगर बाहरवें भाव का स्वामी चौथे भाव में हो तो विदेश में काम काज करने का योग बनता है।
उदारहण कुंडली
चौथे भाव मालिक जितना कमज़ोर होगा उतनी ही जल्दी विदेश में हमेशा रहने का योग बनता जायेगा।
लग्न कुंडली
अगर लग्न कुंडली में चौथे भाव में पापी ग्रह शनि,राहु,केतु,बैठे हो या क्रूर ग्रह सूर्य,मंगल कोई भी बैठा हो तो भी विदेश में रहने का योग बनता है । क्यों की क्रूर ग्रह इंसान को अलगवादी बना देता है।
अगर चौथे भाव का स्वामी बाहरवें भाव में हो और बाहरवें भाव का स्वामी चौथे भाव में हो तो भी हमेशा के लिए विदेश में रहने का योग बनता है।
जैसे की इस लग्न कुंडली में बाहरवें घर का
शनि,राहु,केतु की महादशा-अन्तर्दशा में भी विदेश में रहने की मददगार साबित होती है। क्यों की यह सभी ग्रह विदेश में सेट होने या यात्रा के कारक माने जाते है।
शनि देव की साढ़ेसाती या ढैया भी विदेश में सेट होने
अगर लग्नेश (लग्न का मालिक ) बाहरवें भाव में चला जाये तो भी विदेश में रहने का योग बनता है।
उदाहरण कुंडली
लेकिन चौथा भाव जरूर देखें अगर चौथा भाव स्वराशि का हो तो विदेश में रहने का योग
बाहरवें भाव का मालिक अगर दसवें भाव में पड़ा हो तो भी उसकी महादशा या अन्तर्दशा में विदेश में रहने का और वहां काम काज करने का योग बनता है क्यों की बाहरवें भाव का मालिक दसवें भाव में बैठकर
अगर चौथे भाव का मालिक छठे भाव में चला जाये तो भी विदेश में हमेशा रहने का योग बनता है।
उदारहण कुंडली
अगर बारहवें भाव का स्वामी छठे भाव में हो और छठे भाव का स्वामी बारहवें भाव में हो तो विदेश में नौकरी करने का योग बनता है।
उदाहरण कुंडली
अगर नौवें भाव का मालिक बाहरवें भाव में बैठा हो या कोई भी कनेक्शन हो तो भी उसकी महादशा-अंतरदशा में विदेश में जाने का या हमेशा रहने का योग बनता है और धार्मिक विदेश यात्रा का भी योग बनता है।
अगर पांचवें भाव के स्वामी का सम्बन्ध बाहरवें भाव से हो तो विदेश में पढ़ाई करने का या फिर पढ़ाई की मदद से विदेश यात्रा होती है ।और जातक वहां हमेशा के लिए नागरिकता प्राप्त कर लेता है।
अगर चौथे भाव का मालिक बाहरवें भाव में बैठा हो और बाहरवें भाव का मालिक दसवें भाव में बैठा हो तो भी विदेश में जाकर काम काज करने का योग बनता है।
उदाहरण कुंडली
बाहरवें भाव का स्वामी अगर दूसरे भाव में बैठा हो या फिर दूसरे भाव से कोई भी सम्बन्ध हो तो परिवार सहित विदेश में हमेशा रहने का योग बनता है।
उदारहण कुंडली
विदेश में हमेशा रहने-नौकरी-कामकाज-पढ़ाई-यात्रा का योग देखने के कुछ जरूरी बातें ध्यान में रखें ।
१.ग्रहों का बलाबल और डिग्री ।
२.ग्रहों की महादशा और अन्तर-दशा ।
३.चौथे भाव के स्वामी का बलाबल जितना कम होगा उतना जल्दी ही विदेश