व्यवसाय और ज्योतिष
ज्योतिष का अर्थ प्रकाशित करना है। ज्यादातर व्यक्ति यह निर्णय लेने में असमर्थ है के वो व्यवसाय करे,नौकरी या दोनों ही तो ज्योतिष द्वारा हमे लग्न कुंडली देखकर यह जान सकते है की हमे व्यवसाय करना चाहिए या नौकरी । जो जातक सभी प्रकार के व्यवसायों–नौकरी को कर चुकने और निरंतर प्रयासरत रहने के बावजूद दुर्भाग्य का सामना करते है ,उनको ज्योतिष का प्रारंम्भिक ज्ञान अवश्य प्राप्त करना चाहिए। यह तो ब्रह्मा के अतिरिक्त कोई नहीं जानता के वास्तव में क्या होगा ,लेकिन अनुभव से यह स्पष्ट हो गया है की ईश्वर भी उसी का सहयोग करता है जो प्रयासरत रहकर निरंतर परिश्रम करता है और ईश्वर की सत्ता को स्वीकार करता है।इस तथ्य को स्वीकार करना ही चाहिए की ज्योतिष के समग्र दोहन से आप व्यवसाय या नौकरी,सेल्फ प्रोफेसनल में सफलता प्राप्त कर सकते है और अपने व्यक्तित्व को बहुआयामी और आकर्षक बना सकते है। इसलिए यह आवश्यक हो जाता है की खुद की लग्न कुंडली देख कर कठिन उलझन को सुलझाने का सफल प्रयत्न किया जाय ताकि सभी पाठक या ज्योतिष में रूचि रखने वाले व्यक्ति पर्याप्त लाभ उठा सके।इसलिए ज्योतिष अनुसार लग्न सहित यहां कुछ महत्वपुर्ण उदाहरण वर्णन कर रहा हूँ।
लग्न कुंडली देखने से पहले पांच बातों का अवश्य ध्यान रखें।
१.दशा अंतर्दशा२. गोचर३. साढ़ेसाती या ढैया
४. ग्रहों का बलाबल५. दशमांशा
लग्नेश मंगल अगर लग्न भाव में हो और दशमेश शनि दशम भाव में हो तो जातक दोनों दशा अंतर् दशा में खुद का व्यवसाय धातु के संबंध व्यवसाय या फ़ैक्ट्री लगाने और प्रॉपर्टी से भी लाभ ले सकता है। लेकिन साढ़ेसाती या ढैया ना चलता हो। ग्रहों का बलाबल अवश्य देखें। दशा या महादशा मारक ग्रह की ना हो।