कुछ जरूरी पॉइंट साढ़ेसाती के लिए।
१.कभी भी साढ़ेसाती नाम से और जन्म लग्न से कोई लेना देना नहीं ।
२.साढ़ेसाती सिर्फ जन्म कुंडली के चन्द्रमा से ही देखी जाती है ।
३.जन्म कुंडली में शनि देव अगर योगकारक
बिसनेस करने वालों को ज्यादातर बिसनेस-दुकान ना चलने की यह समस्या आती रहती है उनका एक ही टारगेट होता है के
उनका बिसनेस चलता रहें लेकिन फिर भी इतने पूजा-पाठ,उपाय और टोटके करने के बावजूद
मीन राशि में गोचर का चंद्र (शुभ/अशुभ )कैसे देखें –
चंद्र देवता एक ऐसा ग्रह है जो ज्योतिष में सबसे तेज़ चाल से चलता है जिसका असर हमारे मन,मानसिक और स्वभाव में भी फर्क पड़ता है वो भी बहुत तेज़ी
मेष लग्न की कुंडली मे छठे भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव दोनों मारक होने के कारण विष योग बनाएंगे यहाँ पर दोनों ग्रह बुरा फल देंगे ! यहाँ दोनों का शनि और चंद्र का दान होगा.
फल -लग्न
कुम्भ राशि में गोचर का चंद्र (शुभ/अशुभ )कैसे देखें –
चंद्र देवता एक ऐसा ग्रह है जो ज्योतिष में सबसे तेज़ चाल से चलता है जिसका असर हमारे मन,मानसिक और स्वभाव में भी फर्क पड़ता है वो भी बहुत तेज़ी
कर्क लग्न में सातवें भाव मंगलीक भंग योग –
कर्क लग्न की कुंडली में अगर मंगल देवता सातवें भाव में हो तो मंगलीक भंग योग बनता है क्यों की मंगल ग्रह इस लग्न कुंडली में अति योगकारक और उच्च के
सिंह लग्न में पहले में भाव मंगलीक भंग योग-
सिंह लग्न की कुंडली में अगर मंगल देवता पहले भाव में हो तो मंगलीक भंग योग बनता है क्यों की मंगल ग्रह इस लग्न कुंडली में अति योगकारक है । लग्नेश
सिंह लग्न में चौथे में भाव मंगलीक भंग योग-
सिंह लग्न की कुंडली में अगर मंगल देवता चौथे भाव में हो तो मंगलीक भंग योग बनता है क्यों की मंगल ग्रह इस लग्न कुंडली में अति योगकारक है और स्वराशि
धनु लग्न में बाहरवें भाव में मंगलीक भंग योग –
धनु लग्न में मंगल देवता अगर बाहरवें भाव में हो तो जातक मंगलीक नहीं होता क्यों की यहां पर मंगल ग्रह स्वराशि के हो जाने से मंगलीक योग का परिहार
मकर लग्न में चौथे भाव में मंगलीक भंग योग –
मकर लग्न में मंगल देवता अगर चौथे भाव में हो तो जातक मंगलीक नहीं होता क्यों की यहां पर मंगल ग्रह स्वराशि के होते है और रुचक नामक पंच महापुरुष
मकर लग्न में बाहरवें भाव में मंगलीक भंग योग –
मकर लग्न में मंगल देवता अगर बाहरवें भाव में हो तो जातक मंगलीक नहीं होता क्यों की यहां पर मंगल ग्रह गुरु देवता की मूल त्रिकोण राशि धनु में है
कुम्भ लग्न में बाहरवें भाव में मंगलीक भंग योग –
कुम्भ लग्न में मंगल देवता अगर बाहरवें भाव में हो तो जातक मंगलीक नहीं होता क्यों की यहां पर मंगल ग्रह उच्च के हो गए है। इसलिए मंगल के दोष
चंद्र देवता एक ऐसा ग्रह है जो ज्योतिष में सबसे तेज़ चाल से चलता है जिसका असर हमारे मन,मूड,मानसिक में भी फर्क पड़ता है वो भी बहुत तेज़ी से।चंद्र एक राशि में सवा २ दिन ही रहता है बल्कि बाकी
चंद्र देवता एक ऐसा ग्रह है जो ज्योतिष में सबसे तेज़ चाल से चलता है जिसका असर हमारे मन,मानसिक और स्वभाव में भी फर्क पड़ता है वो भी बहुत तेज़ी से।चंद्र एक राशि में सवा दो दिन ही रहता है
कन्या राशि में गोचर का चंद्र (शुभ/अशुभ )कैसे देखें
चंद्र देवता एक ऐसा ग्रह है जो ज्योतिष में सबसे तेज़ चाल से चलता है जिसका असर हमारे मन,मानसिक और स्वभाव में भी फर्क पड़ता है वो भी बहुत तेज़ी से।चंद्र
वृश्चिक राशि में गोचर का चंद्र (शुभ/अशुभ )कैसे देखें –
चंद्र देवता एक ऐसा ग्रह है जो ज्योतिष में सबसे तेज़ चाल से चलता है जिसका असर हमारे मन,मानसिक और स्वभाव में भी फर्क पड़ता है वो भी बहुत तेज़ी
मकर राशि में गोचर का चंद्र (शुभ/अशुभ )कैसे देखें –चंद्र देवता एक ऐसा ग्रह है जो ज्योतिष में सबसे तेज़ चाल से चलता है जिसका असर हमारे मन,मानसिक और स्वभाव में भी फर्क पड़ता है वो भी बहुत तेज़ी से।चंद्र
१.चर लग्न वालों का भी विदेश में हमेशा रहने का योग जल्दी बनता है।
चर लग्न – (१,४,७,१०)
२.स्थिर लग्न वालों का और द्विस्वभाव लग्न वालों का भी विदेश योग देरी से बनता है ।
स्थिर लग्न – (२,५,८,११)
द्विस्वभाव
लग्न का स्वामी और चौथे भाव का स्वामी चर राशि (१,४,७,१०) में चला जाये तो भी विदेश में जाने का योग जल्दी बन जाता है ।
उदाहरण कुंडली (लग्न का स्वामी)
वृष लग्न में मंगलीक भंग योग –
वृष लग्न अगर मंगल देवता सातवें भाव में हो तो जातक/जातिका को मंगलीक नहीं माना जाता क्यों की
मंगल देवता सातवें भाव में अपने ही घर पर बैठे है( स्वराशि होकर )
सातवें भाव में शनि,राहु,केतु या पाप प्रभाव हो तो,तो भी विदेश में शादी का योग बनता है।
उदाहरण कुंडली
बाहरवें भाव का मालिक का कोई कनेक्शन सातवें भाव से हो तो भी विदेश में शादी का योग बनता है।
उदाहरण कुंडली