१.जल प्रवाह २.दान पुण्य ४.पाठ-पूजन ५.रत्न धारण
१.जल प्रवाह- यदि कोई भी ज्योतिष या विद्वान कोई भी वस्तु जल प्रवाह करने के लिए कहता है तो इसका अर्थ यही है जिस ग्रह सम्बंधित वह वस्तु है,उस वस्तु को पानी में डालने
ग्रह -:
हमारे सौर मंडल में अनगणित ग्रह है। हमारे शरीर में जिन ९ ग्रहों का प्रभाव पड़ता है,ज्योतिष शास्त्र में उन्ही नौ ग्रहों का अध्यन किया है जो इस प्रकार है :-
१.सूर्य
ग्रहों के कारकत्व-:
सूर्य देवता -पिता,सरकारी नौकरी,आत्मा,मान -यश,जीव,दिल,हड्डी,शासन का भी कारक है।
चंद्र देवता -मन,माता,तरलता,मन के भाव,भावुकता अशांत मन,सबसे तेज़ चलने वाला ग्रह,मानसिक का भी कारक है।
मंगल
चार ग्रह जो की(सूर्य,चंद्र,राहु,केतु) पंचमहापुरुष योग नहीं बनाते।(पंचमहापुरुष योगों में नहीं आते)।
और यह पांच ग्रह पंचमहापुरुष योग बनाते है-
मंगल-( रुचक नामक पंचमहापुरुष योग )
बुध-( भद्र नामक पंचमहापुरुष योग )
गुरु-( हंस नामक पंचमहापुरुष योग )
शुक्र-( मालव्य नामक
भाव विस्लेषण
पहला भाव – प्रवृत्ति,स्वाभाव,शरीर की बनावट,चेहरा,व्यव्हार,चरित्र,जीवन की शुरुआत,स्वास्थय,प्रसन्नता,सवंय का व्यक्तित्व।
दूसरा भाव -धन,परिवार,वाणी,कुटुम्ब,फाइनेंस ।
तीसरा भाव -पराक्रम,परिश्रम,छोटे भाई-बहन,छोटी यात्राएं,बाहुबल,मित्रगण,सामाजिक मेल-मिलाप,शारीरिक क्षमता ।
चौथा भाव -गाड़ी,भूमि,मकान,माता,सुख -सुविधायें,जन्म भूमि,जनता ।
पंचम भाव -बुद्धि,संतान,स्मरण शक्ति,अचानक धन लाभ होना,प्रेम -प्रसंग,निर्णय लेने की
मंगलीक योग होता है तो मंगलीक भंग योग भी होता है।
इस वीडियो मे यह बताने की पूरी कोशिश की गई है की किसी कारणवश मांगलिक योग भंग भी हो जाता है । परन्तु अल्प-ज्ञानी ज्योतिष
पुखराज रत्न कब धारण करें ?
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पुखराज मिथुन लग्न
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