ग्रहों के कारकत्व-:
सूर्य देवता -पिता,सरकारी नौकरी,आत्मा,मान -यश,जीव,दिल,हड्डी,शासन का भी कारक है।
चंद्र देवता -मन,माता,तरलता,मन के भाव,भावुकता अशांत मन,सबसे तेज़ चलने वाला ग्रह,मानसिक का भी कारक है।
मंगल
अक्सर हमें राहु देवता से डराया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है !
जहां भाव अच्छा दिया गया है वहां राहुदेव के कोई उपाय करने की जरुरत नहीं।
ज्यादातर हमे राहु देवता
भाव विस्लेषण
पहला भाव – प्रवृत्ति,स्वाभाव,शरीर की बनावट,चेहरा,व्यव्हार,चरित्र,जीवन की शुरुआत,स्वास्थय,प्रसन्नता,सवंय का व्यक्तित्व।
दूसरा भाव -धन,परिवार,वाणी,कुटुम्ब,फाइनेंस ।
तीसरा भाव -पराक्रम,परिश्रम,छोटे भाई-बहन,छोटी यात्राएं,बाहुबल,मित्रगण,सामाजिक मेल-मिलाप,शारीरिक क्षमता ।
चौथा भाव -गाड़ी,भूमि,मकान,माता,सुख -सुविधायें,जन्म भूमि,जनता ।
पंचम भाव -बुद्धि,संतान,स्मरण शक्ति,अचानक धन लाभ होना,प्रेम -प्रसंग,निर्णय लेने की