मेष लग्न में कौन-कौन से भाव में राहु मंगल स्तिथ हो तो अंगारक भंग योग बनता है ।
राहु मंगल से अंगारक योग होता है तो अंगारक भंग योग भी बनता है बहुत कम जानकारों को इसका
अंगारक योग
सबसे पहले आपको बता दूँ की राहु मंगल की युति अंगारक योग बनाती है ना की दोष क्यों की ग्रह कभी भी दोष नहीं बनाते जबकि योग बनाते है!22-2-2021 से लेकर 24-4-2021 तक राहु
बुध ग्रह 25 जनवरी 2021 को कुंभ राशि मे गोचर करेंगे शाम 4 बजकर 19 मिनट पर जो की 1 अप्रैल 2021 तक रहेंगे!
बुध ग्रह के कारकेत्वबुध ग्रह को बुद्धि,पढ़ाई,वाणी,व्यापार, गला, फेफड़े,अकाउंटेंट,स्किन,ज्योतिष,भाषण का कारक माना जाता
पुखराज रत्न कब धारण करें ?
उपयुक्त रत्न पुखराजसिंह लग्न की कुंडली मे 1,2,4,5,7,9,10,11 भावों अगर गुरु देव बैठे हो तो पुखराज रत्न धारण किया जा सकता है !धारण करने की विधि-धातु-सोना,पीतल, पक्ष-शुक्लऊँगली-तर्जनी,दिन-गुरुवारसमय-सूर्य उदय के एक घंटे
दशम भाव का मालिक शनि सप्तम भाव में उच्च के हो और चंद्र ग्रह साथ हो तो जातक प्रॉपर्टी सम्बन्ध कार्य या पार्टर्नशिप करके सफलता प्राप्त कर सकता है।
अगर दशम भाव का स्वामी शनि छठे भाव में हो और
मंगलीक योग होता है तो मंगलीक भंग योग भी होता है।
इस वीडियो मे यह बताने की पूरी कोशिश की गई है की किसी कारणवश मांगलिक योग भंग भी हो जाता है । परन्तु अल्प-ज्ञानी ज्योतिष
पुखराज रत्न कब धारण करें ?
कर्क लग्न की कुंडली मे 1,2,4,5,9,10,11 भावों अगर गुरु देव बैठे हो तो पुखराज रत्न धारण किया जा सकता है !धारण करने की विधि-धातु-सोना,पीतल, पक्ष-शुक्लऊँगली-तर्जनी,दिन-गुरुवारसमय-सूर्य उदय के एक घंटे के अंदर!ध्यान
पुखराज रत्न कब धारण करें ?
पुखराज मिथुन लग्न
मिथुन लग्न की कुंडली मे 1,2,4,5,7,9,10,11 भावों अगर गुरु देव बैठे हो तो पुखराज रत्न धारण किया जा सकता है !धारण करने की विधि-धातु-सोना,पीतल, पक्ष-शुक्लऊँगली-तर्जनी,दिन-गुरुवारसमय-सूर्य उदय
जानिए ग्रह नीच भंग कब होता है?
गुरु देवता 20 नवंबर 2020 मे मकर राशि मे गोचर करेंगे जो की शनि देव के साथ मकर राशि मे 6 अप्रैल 2021 तक रहेंगे!18 जनवरी 2021 को अस्त होंगे
जानिए चंद्र ग्रह अनुसार एक ऐसा रहस्य जाने खुद ही यात्रा और शुभ कार्य मे सफलता मिलेगी या नहीं
https://youtu.be/K1yNS57u0jk
दिवाली पर कुछ खास उनके उपाय जिनके ग्रहों से हमें बहुत डराया जाता है
जैसे की शनि,राहु और केतु !जिसकी भी लग्न कुंडली मे शनि, राहु केतु नीच के और मारक हो या 6,8,12 भाव मे बैठे हो या फिर
राहुदेव फलादेश वृश्चिक लग्न 7 से 12 भाव
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई भी स्वराशि नहीं होती,राहु और केतु देवता मित्र राशि या उच्च हों और अच्छे भाव मे बैठे हो तो अच्छा फल
कार्तिक मास,उपाय,और फलादेश
कार्तिक मास 18-10-2020 से 21-11-2020 तक !
जन्मकुंडली मे ज़ब सूर्य देव तुला राशि या नीच के हो तो उस जातक को कार्तिक की पूजा या सूर्य देव के दान अवश्य करने चाहिए,ज़बकी लग्न कुंडली मे सूर्य
गोचर कैसे देखें? राहु-केतु 23-9-2020
आज हम बात करते है गोचर के राहु केतु के बारे मे जो की 23 सितम्बर 2020 को वक्री होकर वृष और वृश्चिक राशि उच्च के होकर आ रहें है जो की 12 अप्रैल 2022
केतुदेव फलादेश 7 से 12 भाव कर्क लग्न…
7.सातवां भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र,भाव-अच्छा
8.आठवां भाव फल-बुरा,राशि-मित्र,भाव-बुरा
9.नवम भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
10.दशम भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
11.ग्यारहवां भाव फल-बूरा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
12.बारहवां भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-बुरा
अक्सर हमें केतु देवता से डराया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है !
लग्न
केतुदेव फलादेश 1 से 6 भाव कर्क लग्न
अक्सर हमें केतु देवता से डराया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है !
1.पहला भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव अच्छा
2.दूसरा भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
3.तीसरा भाव फल-बुरा,राशि-मित्र,भाव-बुरा
4.चौथा भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र, भाव-अच्छा
5.पांचवां भाव फल-अच्छा,राशि-उच्च,भाव-अच्छा
6.छठा भाव
अक्सर हमें राहु देवता से डराया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है !
राहुदेव फलादेश 7 से 12 भाव कर्क लग्न..
7.सातवां भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र,भाव-अच्छा
8.आठवां भाव फल-बुरा,राशि-मित्र,भाव-बुरा
9.नवम भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
10.दशम भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
11.ग्यारहवां भाव फल-अच्छा,राशि-उच्च,भाव-अच्छा
12.बारहवां भाव फल-बुरा,राशि-उच्च,भाव-बुरा
राहुदेव फलादेश 1 से 6 भाव कर्क लग्न…
1.पहला भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव अच्छा
2.दूसरा भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
3.तीसरा भाव फल-बुरा,राशि-मित्र,भाव-बुरा
4.चौथा भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र, भाव-अच्छा
5.पांचवां भाव फल-अच्छा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
6.छठा भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-बुरा
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई
केतुदेव फलादेश 7 से 12 भाव मिथुन लग्न…
7.सातवां भाव फल-अच्छा,राशि-उच्च,भाव-अच्छा
8.आठवां भाव फल-बुरा,राशि-मित्र,भाव-बुरा
9.नवम भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र,भाव-अच्छा
10.दशम भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
11.ग्यारहवां भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
12.बारहवां भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-बुरा