जब गोचर के शनि देव जन्मकुंडली के चन्द्रमा राशि से एक राशि आगे चले जाये तो वो साढ़ेसाती का आखिरी ढैया होता है
उदाहरण-जैसे की जन्मलग्न कुंडली का चन्द्रमा मकर राशि में और गोचर के शनि देव कुम्भ राशि में
साढ़ेसाती हमेशा जन्म लग्न कुंडली के चन्द्रमा के हिसाब से देखी जाती है,जन्म कुंडली में जहाँ चंद्र देवता बैठें हो या जिस राशि में बैठे हो साढ़ेसाती का हमें वहीं से ही पता चलेगा।
उदाहरण-जैसे की जन्मलग्न कुंडली का चन्द्रमा
मांगलिक योग
सबसे पहले यह जानना आवश्यक है की मंगलीक दोष नहीं एक योग होता है,वास्तव में किसी भी कुंडली में मांगलिक एक दोष नहीं योग माना जाता है परन्तु बहुत से ज्योतिषी मांगलिक दोष कह कर लोगों के मनों
विदेश में हमेशा रहने-नौकरी-कामकाज-पढ़ाई-यात्रा का योग देखने के कुछ जरूरी बातें ध्यान में रखें ।
१.ग्रहों का बलाबल और डिग्री ।
२.ग्रहों की महादशा और अन्तर-दशा ।
३.चौथे भाव के स्वामी का बलाबल जितना कम होगा उतना जल्दी ही विदेश
जन्मकुंडली के उपाय के साथ साथ हमे वास्तु का ध्यान रखें तो और ज्यादा बेहतर रहता है।
घडी,दर्पण,वाश बेसिन,भगवान की फोटो,टीवी उतर,पक्षिम और पूर्व की दिशा में ही लगानी चाहिए ।
उतर,पक्षिम,और पूर्व की दिशा में फीका रंग करवाना चाहिए।
कुंडली के १२ भावों के नाम इस प्रकार है:-
१.तन भाव २.धन भाव
३.भ्राता भाव ४.माता भाव
५.संतान भाव ६.रोग भाव
७.जया भाव ८.आयु भाव
९.भाग्य भाव १०.कर्म भाव
११.लाभ भाव १२.खर्च भाव
कुंडली के सभी भावों को निम्नलिखत शब्दों द्वारा संबोधित किया जाता है :-
१.लग्नेश २.द्वितीयेश
३.तृतीयेश ४.चतुर्थेश
५.पंचमेश ६.षष्ठेश
७.सप्तमेश ८.अष्टमेश
९.नवमेश १०.दशमेश
११.एकादशेश १२.द्वादशेश
नोट-भाव की राशि के स्वामी को भावेश
गोचर का विवेचन-गोचर कैसे देखें जन्म कुंडली में।
गोचर जन्म कुंडली का विस्लेषण करते समय बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
इसलिए लग्न कुंडली की विवेचना (व्याख्या) करते समय इस का खास ध्यान रखना चाहिए।
गोचर को सदा लागु करते समय
सिंह लग्न में सातवें में भाव मंगलीक भंग योग-
सिंह लग्न की कुंडली में अगर मंगल देवता सातवें भाव में हो तो मंगलीक भंग योग बनता है क्यों की मंगल ग्रह इस लग्न कुंडली में अति योगकारक है और लग्नेश
मेष लग्न मे मंगलीक भंग योग –
ज्योतिष के मुताबिक मेष लग्न में सातवें भाव में बैठा मंगल अति योगकारक है और पंचमहापुरुष बना रहा है जिस कारण मंगलीक भंग योग बनता है !
पंचमहापुरुष योग -मंगल अगर केंद्र
तुला लग्न में प्रथम भाव में मंगलीक भंग योग-
तुला लग्न की कुंडली में अगर मंगल देवता पहले भाव में हो तो मंगलीक भंग योग बनता है क्यों की यहां बैठा मंगल अपनी सातवीं दृष्टी अपने ही घर पर पड़ती
इस वर्ष प्रदोषव्यापिनी कार्तिक कृष्ण अमावस्या 24 अक्टूबर, 2022 को (सोमवार) होने से इसी दिन दीपावली पर्व मनाया
जाएगा। इस दिन महालक्ष्मी पूजन प्रदोषकाल में किए जाने का विधान है। यहाँ प्रदोषकाल सूर्यास्त के पश्चात् 1
बिसनेस करने वालों को ज्यादातर बिसनेस-दुकान ना चलने की यह समस्या आती रहती है उनका
एक ही टारगेट होता है के उनका बिसनेस चलता रहें लेकिन फिर भी इतने पूजा-पाठ,उपाय और
टोटके करने
बिसनेस करने वालों को ज्यादातर बिसनेस-दुकान ना चलने की यह समस्या आती रहती है उनका एक ही टारगेट होता है के
उनका बिसनेस चलता रहें लेकिन फिर भी इतने पूजा-पाठ,उपाय और टोटके करने के बावजूद
पूर्णिमा 11 अगस्त 2022 को लुधियाना पंजाब मे 10:40 सुबह से शुरू होकर 12-8-2022 को 7:04 सुबह तक है | और भद्रा
11-8-2022 को रात्रि 20:53 तक है |इसके अतिरिक्त 11 अगस्त,गुरुवार को चन्द्रमा मकर
बिसनेस करने वालों को ज्यादातर बिसनेस-दुकान ना चलने की यह समस्या आती रहती है उनका एक ही टारगेट होता है के
उनका बिसनेस चलता रहें लेकिन फिर भी इतने पूजा-पाठ,उपाय और टोटके करने के बावजूद
कन्या लग्न में बारहवें भाव में मंगलीक भंग योग-
कन्या लग्न की कुंडली में अगर मंगल देवता बारहवें भाव में हो तो मंगलीक भंग योग तब बनता है जब लग्नेश बुध बलि हो तो विपरीत राजयोग भी बनाता है जो
व्यपार करने वालों को अक़्सर व्यपार ना चलने की यह समस्या आखिर आती
रहती है उनका एक लक्ष्य होता है के उनका व्यापार चलता रहें इतना उपाय
टोटके करने के बावजूद
व्यपार करने वालों को अक़्सर व्यपार ना चलने की यह समस्या आखिर आती रहती है उनका एक लक्ष्य होता है के उनका
व्यापार चलता रहें इतना उपाय टोटके करने के बावजूद भी आखिर उनका