केतुदेव फलादेश मेष लग्न 1 से 12 भाव…
अक्सर हमें केतु ग्रह से डराया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है !
1.पहला भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव अच्छा
2.दूसरा भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
3.तीसरा भाव फल-बुरा,राशि- नीच,भाव-बुरा
4.चौथा भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु, भाव-अच्छा
5.पांचवां भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
6.छठा
ग्रह कब खराब होते है और क्यों?
ग्रह कब खराब होते है और क्यों?
सूर्य -झूठे हाथ सिर पर लगने से, पिता सम्मान व्यक्ति की इज्जत ना करने से !
चंद्र -पानी व्यर्थ फैलाने से, माता की कद्र ना करना
राहुदेव फलादेश 1 से 6 भाव मिथुन लग्न…
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1999716900165480&id=324605007676686
1.पहला भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव अच्छा
2.दूसरा भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
3.तीसरा भाव फल-बुरा,राशि-मित्र,भाव-बुरा
4.चौथा भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र, भाव-अच्छा
5.पांचवां भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
6.छठा भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-बुरा
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई
https://www.facebook.com/324605007676686/posts/2000646
राहुदेवफलादेश 7 से 12 भाव मिथुन लग्न…
7.सातवां भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
8.आठवां भाव फल-बुरा,राशि-मित्र,भाव-बुरा
9.नवम भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र,भाव-अच्छा
10.दशम भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
11.ग्यारहवां भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
12.बारहवां भाव फल-बुरा,राशि-उच्च,भाव-बुरा
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई भी स्वराशि
राहुदेव फलादेश 7 से 12 भाव वृष लग्न…
7.सातवां भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
8.आठवां भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-बुरा
9.नवम भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र,भाव-अच्छा
10.दशम भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र,भाव-अच्छा
11.ग्यारहवां भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
12.बारहवां भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-बुरा
ध्यान दें-जिस भाव मे राहु देव बैठे हो उस घर के स्वामी की
गोचर के उच्च राहु-केतु देव फलादेश 23-9-2020 से 12-4-2022 तक
गोचर के राहु-केतु देव हर किसी की जन्मकुंडली मे बुरा फल नहीं देंगे क्यों की…
अगर आपकी लग्न कुंडली मे राहु-केतु देव अच्छे भाव और मित्र राशि मे बैठे
केतुदेव फलादेश 7 से 12 भाव सिंह लग्न…
7.सातवां भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र,भाअच्छा
8.आठवां भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-बुरा
9.नवम भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
10.दशम भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
11.ग्यारहवां भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
12.बारहवां भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-बुरा
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई भी स्वराशि नहीं
केतु देव फलादेश 1 से 6 भाव सिंह लग्न
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई भी स्वराशि नहीं होती,राहु और केतु देवता मित्र राशि या उच्च हों और अच्छे भाव मे बैठे हो तो अच्छा
विष योग वृष लग्न पार्ट -8
वृष लग्न की जन्म कुंडली मे आठवें भाव मे बैठे शनि चंद्र देवता दोनों ही विष योग बनाएंगे क्यों यहाँ बैठे शनि चंद्र देवता दोनों ही मारक है और दोनों ही बुरा फल
वृष लग्न की कुंडली मे छठे भाव मे बैठे चंद्र और शनि देव विष योग बनाएंगे क्यों की दोनों ग्रह इस लग्न कुंडली मे मारक है और भाव भी छठा जो की त्रिक स्थान है जो की अच्छा
वृष लग्न की कुंडली में पांचवे भाव मे बैठे चंद्र और शनि देव विष योग बनाएंगे लेकिन विष योग बनने की वजह चंद्र देव ही होंगे क्यों की चंद्र देवता इस लग्न कुंडली मे मारक है !शनि देवता विष
वृष लग्न की कुंडली में तीसरे भाव मे बैठे शनि और चंद्र देवता दोनों ही विष योग बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव और चंद्र देव दोनों ही मारक है तो दोनों मारक होने के कारण विष योग बनाएंगे
वृष लग्न की कुंडली मे लग्न में बैठे शनि और चंद्र देव विष योग बनाएंगे लेकिन ध्यान देने योग्य बात यही है की विष योग बनने का कारण चंद्र देव होंगे ना की शनि देव चंद्र देव तीसरे भाव
मेष लग्न की कुंडली मे बारहवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव विष योग बनाएंगे क्यों यहाँ दोनों ग्रह शनि और चंद्र देव अतिमारक हुए जिस कारण विष बनता है यहाँ बैठे शनि और चंद्र देव जहां भी देखेंगे
मेष लग्न की कुंडली मे सातवें भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग नही बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव सप्तम भाव मे सम होकर उच्च के भी होकर बैठे है जो की योगकारक ग्रह हुए और
मेष लग्न की कुंडली मे पांचवेें भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग नही बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव पांचवें भाव मे सम होकर बैठे है और चंद्र देवता अतियोगकारक होकर अपनी ही राशि मे बैठे
मेष लग्न की कुंडली मे चौथे भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग नही बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव चौथे भाव मे सम होकर बैठे है और चंद्र देवता अतियोगकारक होकर अपनी ही राशि मे बैठे
मेष लग्न की कुंडली मे तीसरे भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव दोनों मारक होने के कारण विष योग बनाएंगे यहाँ पर दोनों ग्रह बुरा फल देंगे ! यहाँ दोनों का शनि और चंद्र का दान होगा.
फल -लग्न
लग्नेश का दान करें या ना करें
लग्न कुंडली मे ज़ब लग्नेश मारक हो यानि छठे, आठवें, बाहरवें भाव मे हो तो ज्यादातर यह समस्या रहती है के लग्नेश का दान करना चाहिए के नही ! लग्नेश का दान हर
मेष लग्न की कुंडली मे दूसरे भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग नही बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव दूसरे भाव मे सम होकर बैठे है और चंद्र देवता अतियोगकारक होकर उच्च के होकर बैठे है