क्या आप जानते है?राशि के स्वामी कौन है?और उनकी मूल त्रिकोण राशि क्या है?राशि के तत्व क्या है?और राशि की क्या विशेषताएं है ?तो यहां मैंने सभी की राशि की विशेषताएं,स्वामी,मूल त्रिकोण,तत्व के बारे में बताया है जबकि यह
राहु चंद्र ग्रहण भंग योग सभी लग्न
राहु चंद्र से ग्रहण योग होता है तो ग्रहण भंग योग भी बनता है बहुत कम जानकारों को इसका ज्ञान होता है। उदाहरण के तौर पर मैंने सभी लग्न वालों के लिए कहां-कहां
दशम भाव का मालिक शनि सप्तम भाव में उच्च के हो और चंद्र ग्रह साथ हो तो जातक प्रॉपर्टी सम्बन्ध कार्य या पार्टर्नशिप करके सफलता प्राप्त कर सकता है।
अगर दशम भाव का स्वामी शनि छठे भाव में हो और
राहुदेव फलादेश वृश्चिक लग्न 7 से 12 भाव
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई भी स्वराशि नहीं होती,राहु और केतु देवता मित्र राशि या उच्च हों और अच्छे भाव मे बैठे हो तो अच्छा फल
कार्तिक मास,उपाय,और फलादेश
कार्तिक मास 18-10-2020 से 21-11-2020 तक !
जन्मकुंडली मे ज़ब सूर्य देव तुला राशि या नीच के हो तो उस जातक को कार्तिक की पूजा या सूर्य देव के दान अवश्य करने चाहिए,ज़बकी लग्न कुंडली मे सूर्य
बुधदेव फलादेश वृष लग्न 5 से 8 भाव…
5.पांचवां भाव-संतान,विद्या,प्रेम-प्रसंग
फल-बहुत अच्छा,योगकारक-हाँ
राशि-कन्या,भाव स्वामी-बुध,
राशि तत्व-पृथ्वी,दृष्टी-सातवीं
अवस्था-उच्च,ग्रह रंग-हरा
6.छठा भाव-शत्रु,कोर्ट केस,लड़ाई-झगड़ा
फल-बुरा,राशि-तुला,
भाव स्वामी-शुक्र,राशि तत्व-वायु,
7.सातवां भाव-पत्नी,रोजीरोजगार,
पार्टनरशिप,विवाह सुख,
फल-अच्छा,राशि-वृश्चिक,भाव स्वामी-मंगल,राशि तत्व-जल
8.आठवां भाव-मृत्यु,गुप्त ज्ञान,ससुराल,
फल-बुरा,राशि-धनु,राशि स्वामी-गुरु,राशि तत्व-अग्नि\
रत्न-ध्यान दें
वास्तु और ग्रहों का सम्भन्ध
अगर आपकी लग्न कुंडली मे शनि-राहु-मंगल
देव ग्रह सही ना हो या नीच हो उनका प्रभाव
बुरा हो तो वास्तु के मुताबिक कुछ चीज़ों को
ध्यान मे रख कर उनके बुरे प्रभाव मे
कमी आ
देखो ज्योतिष को सही मायनों :-व्यापार ना बनाओ ये विधा बहुत अमूल्य धरोवर है,जिसे हमारे ऋषि मुनियों ने संजोकर रखा था,
राहु भृमजाल है,माया है कल्पना है,विचारों में भृमण कर रहा है,ये वो दृश्य शक्ति है जिसे पहचान पाना
राहुदेव फलादेश मेष लग्न 1 से 12 भाव…
अक्सर हमें राहु-केतु ग्रह से डराया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है !
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई भी स्वराशि नहीं होती,राहु और केतु देवता
राहु-केतु देव हमेशा बुरा फल नहीं देते क्यों की….
अक्सर हमें राहु-केतु ग्रह से डराया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है !
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई भी स्वराशि नहीं होती,राहु और केतु देवता
केतुदेव फलादेश मेष लग्न 1 से 12 भाव…
अक्सर हमें केतु ग्रह से डराया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है !
1.पहला भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव अच्छा
2.दूसरा भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
3.तीसरा भाव फल-बुरा,राशि- नीच,भाव-बुरा
4.चौथा भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु, भाव-अच्छा
5.पांचवां भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
6.छठा
ग्रह कब खराब होते है और क्यों?
ग्रह कब खराब होते है और क्यों?
सूर्य -झूठे हाथ सिर पर लगने से, पिता सम्मान व्यक्ति की इज्जत ना करने से !
चंद्र -पानी व्यर्थ फैलाने से, माता की कद्र ना करना