कर्क लग्न की कुंडली मे लग्न मे चंद्र स्वराशि के, और उच्च के गुरु हो, शुक्र और चौथे भाव मे स्वराशि के, मंगल पंचम भाव मे स्वराशि के हो तो राजयोग बनता है, जातक राजा के सम्मान ऐश्वर्या ऐंव
मिथुन लग्न की कुंडली मे लग्न मे बुध स्वराशि के, तीसरे भाव मे स्वराशि के सूर्य और छठे भाव मे मंगल स्वराशि के, अस्टम भाव मे शनि देव स्वराशि के हो तो राजयोग बनता है, जातक राजा के सम्मान
वृष लग्न की कुंडली मे लग्न मे शुक्र स्वराशि के, पंचम भाव मे उच्च के बुध और दशम भाव मे शनि स्वराशि के हो तो राजयोग बनता है, केंद्र और त्रिकोण बलि होने के कारण जातक राजा के सम्मान
राजयोग और योग की परिभाषा योग (युति योग)-
दो ग्रहों का एक साथ बैठना ही योग कहलाता है। एक साथ बैठे ग्रहों को युति भी कहते है।योग जन्म लग्न कुंडली के मुताबिक अच्छा या बुरा फल
त्रिशक्ति रत्न कब पहने? वृश्चिक लग्न…
वृश्चिकलग्न की जन्मकुंडली मे अगर त्रिकोण भाव के स्वामी मंगल,चंद्र,गुरु
2,4,5,7,10,11 भावों मे तीनो ग्रह या इनमे मे से कोई भी ग्रह इन्ही भावों बैठे हो तो त्रिशक्ति रत्न पहना जा सकता है
त्रिशक्ति रत्न कब पहने? धनु लग्न…
धनु लग्न की जन्मकुंडली मे अगर त्रिकोण भाव के स्वामी गुरु,सूर्य,मंगल
1,4,5,7,9,10,भावों मे तीनो ग्रह या इनमे मे से कोई भी ग्रह इन्ही भावों बैठे हो तो त्रिशक्ति रत्न पहना जा सकता है
त्रिशक्ति रत्न कब पहने?मकर लग्न…
मकर लग्न की जन्मकुंडली मे अगर त्रिकोण भाव के स्वामी शनि,बुध, शुक्र
1,2,5,7,10,11भावों मे तीनो ग्रह या इनमे मे से कोई भी ग्रह इन्ही भावों बैठे हो तो त्रिशक्ति रत्न पहना जा सकता है
त्रिशक्ति रत्न कब पहने? कुम्भ लग्न..
कुम्भ लग्न की जन्मकुंडली मे अगर त्रिकोण भाव के स्वामी शनि,बुध, शुक्र
1,4,5,7,9,10,11भावों मे तीनो ग्रह या इनमे मे से कोई भी ग्रह इन्ही भावों बैठे हो तो त्रिशक्ति रत्न पहना जा सकता
त्रिशक्ति रत्न कब पहने? मीन लग्न…
मीन लग्न की जन्मकुंडली मे अगर त्रिकोण भाव के स्वामी गुरु,मंगल,चंद्र
1,2,4,7,10,भावों मे तीनो ग्रह या इनमे मे से कोई भी ग्रह इन्ही भावों बैठे हो तो त्रिशक्ति रत्न पहना जा सकता है !और
क्या आप जानते है ज्योतिष के मुताबिक रत्न क्यों पहनाएं जाते ?
रत्न पहनने का अर्थ यह है की जिस ग्रह का रत्न धारण किया जाता है उस ग्रह की किरणों को शरीर में बढ़ाना होता है।
रत्न धारण करने
राहुदेव फलादेश 7 से 12 भाव वृष लग्न…
7.सातवां भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
8.आठवां भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-बुरा
9.नवम भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र,भाव-अच्छा
10.दशम भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र,भाव-अच्छा
11.ग्यारहवां भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
12.बारहवां भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-बुरा
ध्यान दें-जिस भाव मे राहु देव बैठे हो उस घर के स्वामी की
गोचर के उच्च राहु-केतु देव फलादेश 23-9-2020 से 12-4-2022 तक
गोचर के राहु-केतु देव हर किसी की जन्मकुंडली मे बुरा फल नहीं देंगे क्यों की…
अगर आपकी लग्न कुंडली मे राहु-केतु देव अच्छे भाव और मित्र राशि मे बैठे