चौथे भाव मे बैठे शनि चंद्र दोनों ग्रह मिथुन लग्न मे विष योग बनाएंगे लेकिन चंद्र देवता की वजह से यह योग बनेगा क्यों की चंद्र देवता लग्नेश के अति शत्रु होकर अति मारक ग्रह बने जिस वजह से विष
मेष लग्न की कुंडली मे दसवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव अतियोगकारक होने के कारण विष योग नही बनाएंगे ! दसवें भाव मे शनि देव स्वग्रही सबसे अच्छा ग्रह होकर केंद्र मे बैठे है जो की व्यपार के
विष योग-
लग्न कुंडली मे शुभ और अशुभ योगों का बहुत महत्व है ज़ब कोई शुभ योग बनता है लग्न कुंडली मे तो जातक को सुख सुविधाओं से भरपूर कर देता है हर तरह की इच्छा पूरी होती ज़ब अशुभ