03 Aug विपरीत राज योग-परिभाषा By Ashwani Jain In विपरीत राज योग-परिभाषा परिभाषा -अगर लग्न कुंडली में त्रिक स्थान का मालिक (६,८,१२) त्रिक स्थान में ही बैठा हो तो वो अपनी दशा ,अन्तरदशा में सदैव अच्छा फल देता है पर लग्नेश बलि अवश्य होना चाहिए । लेकिन अगर लग्न कुंडली में लग्नेश Read More Share: