वृष लग्न की कुंडली मे दसवें भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग बनाएंगे लेकिन चंद्र देव कारण बनेंगे विष योग का शनि देव यहां अति योगकारक ग्रह होने की वजह से विष योग नही बनाएंगे
विष योग वृष लग्न पार्ट-9
वृष लग्न की कुंडली मे नौवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देवता विष योग बनाएंगे लेकिन ध्यान देने योग्य बात यही है की यहां चंद्र देवता मारक होने की वजह से विष योग
सूर्य ग्रहण 26-12-2019
सूर्य ग्रहण का सूतक आज 25-12-2019 को रात 8 बजे से प्रारम्भ हो जायेगा।
लुधियाना में ग्रहण का आरम्भ सुबह 8 बजे 18 मिन्ट से समाप्ति 10 बजे 52 मिन्ट पर होगा।
लुधियाना सूर्य उदय 7.19
विष योग वृष लग्न पार्ट -8
वृष लग्न की जन्म कुंडली मे आठवें भाव मे बैठे शनि चंद्र देवता दोनों ही विष योग बनाएंगे क्यों यहाँ बैठे शनि चंद्र देवता दोनों ही मारक है और दोनों ही बुरा फल
वृष लग्न की कुंडली मे छठे भाव मे बैठे चंद्र और शनि देव विष योग बनाएंगे क्यों की दोनों ग्रह इस लग्न कुंडली मे मारक है और भाव भी छठा जो की त्रिक स्थान है जो की अच्छा
वृष लग्न की कुंडली में पांचवे भाव मे बैठे चंद्र और शनि देव विष योग बनाएंगे लेकिन विष योग बनने की वजह चंद्र देव ही होंगे क्यों की चंद्र देवता इस लग्न कुंडली मे मारक है !शनि देवता विष
वृष लग्न की कुंडली में तीसरे भाव मे बैठे शनि और चंद्र देवता दोनों ही विष योग बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव और चंद्र देव दोनों ही मारक है तो दोनों मारक होने के कारण विष योग बनाएंगे
वृष लग्न की कुंडली मे लग्न में बैठे शनि और चंद्र देव विष योग बनाएंगे लेकिन ध्यान देने योग्य बात यही है की विष योग बनने का कारण चंद्र देव होंगे ना की शनि देव चंद्र देव तीसरे भाव
मेष लग्न की कुंडली मे बारहवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव विष योग बनाएंगे क्यों यहाँ दोनों ग्रह शनि और चंद्र देव अतिमारक हुए जिस कारण विष बनता है यहाँ बैठे शनि और चंद्र देव जहां भी देखेंगे
मेष लग्न की कुंडली मे ग्याहरवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव अतियोगकारक होने के कारण विष योग नही बनाएंगे ! ग्याहरवें भाव मे शनि देव स्वग्रही सबसे अच्छा ग्रह होकर बैठे है जो की व्यपार, लाभ, इच्छा पूर्ति
मेष लग्न की कुंडली मे दसवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव अतियोगकारक होने के कारण विष योग नही बनाएंगे ! दसवें भाव मे शनि देव स्वग्रही सबसे अच्छा ग्रह होकर केंद्र मे बैठे है जो की व्यपार के
मेष लग्न की कुंडली मे नौवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव विष योग नही बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि और चंद्र दोनों ही योगकारक ग्रह है जो की चंद्र देव चौथे भाव के मालिक होकर नौवें भाव मे
मेष लग्न की कुंडली मे आठवें भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव अस्टम भाव में मारक होकर बैठे है जो की अतिमारक ग्रह हुए और चंद्र देवता यहाँ अस्टम भाव
मेष लग्न की कुंडली मे सातवें भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग नही बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव सप्तम भाव मे सम होकर उच्च के भी होकर बैठे है जो की योगकारक ग्रह हुए और
मेष लग्न की कुंडली मे पांचवेें भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग नही बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव पांचवें भाव मे सम होकर बैठे है और चंद्र देवता अतियोगकारक होकर अपनी ही राशि मे बैठे
मेष लग्न की कुंडली मे चौथे भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग नही बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव चौथे भाव मे सम होकर बैठे है और चंद्र देवता अतियोगकारक होकर अपनी ही राशि मे बैठे
मेष लग्न की कुंडली मे तीसरे भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव दोनों मारक होने के कारण विष योग बनाएंगे यहाँ पर दोनों ग्रह बुरा फल देंगे ! यहाँ दोनों का शनि और चंद्र का दान होगा.
फल -लग्न
लग्नेश का दान करें या ना करें
लग्न कुंडली मे ज़ब लग्नेश मारक हो यानि छठे, आठवें, बाहरवें भाव मे हो तो ज्यादातर यह समस्या रहती है के लग्नेश का दान करना चाहिए के नही ! लग्नेश का दान हर
मेष लग्न की कुंडली मे दूसरे भाव मे बैठे शनि देव और चंद्र देव विष योग नही बनाएंगे क्यों की यहाँ शनि देव दूसरे भाव मे सम होकर बैठे है और चंद्र देवता अतियोगकारक होकर उच्च के होकर बैठे है