वास्तु और ग्रहों का सम्भन्ध
अगर आपकी लग्न कुंडली मे शनि-राहु-मंगल
देव ग्रह सही ना हो या नीच हो उनका प्रभाव
बुरा हो तो वास्तु के मुताबिक कुछ चीज़ों को
ध्यान मे रख कर उनके बुरे प्रभाव मे
कमी आ
देखो ज्योतिष को सही मायनों :-व्यापार ना बनाओ ये विधा बहुत अमूल्य धरोवर है,जिसे हमारे ऋषि मुनियों ने संजोकर रखा था,
राहु भृमजाल है,माया है कल्पना है,विचारों में भृमण कर रहा है,ये वो दृश्य शक्ति है जिसे पहचान पाना
राहुदेव फलादेश मेष लग्न 1 से 12 भाव…
अक्सर हमें राहु-केतु ग्रह से डराया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है !
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई भी स्वराशि नहीं होती,राहु और केतु देवता
राहु-केतु देव हमेशा बुरा फल नहीं देते क्यों की….
अक्सर हमें राहु-केतु ग्रह से डराया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है !
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई भी स्वराशि नहीं होती,राहु और केतु देवता
केतुदेव फलादेश मेष लग्न 1 से 12 भाव…
अक्सर हमें केतु ग्रह से डराया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है !
1.पहला भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव अच्छा
2.दूसरा भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
3.तीसरा भाव फल-बुरा,राशि- नीच,भाव-बुरा
4.चौथा भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु, भाव-अच्छा
5.पांचवां भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
6.छठा
ग्रह कब खराब होते है और क्यों?
ग्रह कब खराब होते है और क्यों?
सूर्य -झूठे हाथ सिर पर लगने से, पिता सम्मान व्यक्ति की इज्जत ना करने से !
चंद्र -पानी व्यर्थ फैलाने से, माता की कद्र ना करना
पंचम भाव मे बैठे शनि चंद्र दोनों ग्रह मिथुन लग्न मे विष बनाएंगे लेकिन चंद्र देवता इस लग्न कुंडली मे लग्नेश के अति शत्रु होने की वजह से विष योग का कारण बनेगें और शनि से अच्छे प्रभाव
राहुदेव फलादेश 1 से 6 भाव मिथुन लग्न…
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1.पहला भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव अच्छा
2.दूसरा भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
3.तीसरा भाव फल-बुरा,राशि-मित्र,भाव-बुरा
4.चौथा भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र, भाव-अच्छा
5.पांचवां भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
6.छठा भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-बुरा
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई
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राहुदेवफलादेश 7 से 12 भाव मिथुन लग्न…
7.सातवां भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
8.आठवां भाव फल-बुरा,राशि-मित्र,भाव-बुरा
9.नवम भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र,भाव-अच्छा
10.दशम भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
11.ग्यारहवां भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
12.बारहवां भाव फल-बुरा,राशि-उच्च,भाव-बुरा
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई भी स्वराशि
राहुदेव फलादेश 7 से 12 भाव वृष लग्न…
7.सातवां भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
8.आठवां भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-बुरा
9.नवम भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र,भाव-अच्छा
10.दशम भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र,भाव-अच्छा
11.ग्यारहवां भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
12.बारहवां भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-बुरा
ध्यान दें-जिस भाव मे राहु देव बैठे हो उस घर के स्वामी की
गोचर के उच्च राहु-केतु देव फलादेश 23-9-2020 से 12-4-2022 तक
गोचर के राहु-केतु देव हर किसी की जन्मकुंडली मे बुरा फल नहीं देंगे क्यों की…
अगर आपकी लग्न कुंडली मे राहु-केतु देव अच्छे भाव और मित्र राशि मे बैठे
केतुदेव फलादेश 7 से 12 भाव सिंह लग्न…
7.सातवां भाव फल-अच्छा,राशि-मित्र,भाअच्छा
8.आठवां भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-बुरा
9.नवम भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-अच्छा
10.दशम भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
11.ग्यारहवां भाव फल-बुरा,राशि-नीच,भाव-अच्छा
12.बारहवां भाव फल-बुरा,राशि-शत्रु,भाव-बुरा
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई भी स्वराशि नहीं
केतु देव फलादेश 1 से 6 भाव सिंह लग्न
लग्न कुंडली यानि जन्मकुंडली मे राहु और केतु देवता की कोई भी स्वराशि नहीं होती,राहु और केतु देवता मित्र राशि या उच्च हों और अच्छे भाव मे बैठे हो तो अच्छा
चौथे भाव मे बैठे शनि चंद्र दोनों ग्रह मिथुन लग्न मे विष योग बनाएंगे लेकिन चंद्र देवता की वजह से यह योग बनेगा क्यों की चंद्र देवता लग्नेश के अति शत्रु होकर अति मारक ग्रह बने जिस वजह से विष
24-1-2020 समय 9:56 को शनि महाराज मकर राशि मे विराजमान हो रहे है, इस राशि मे शनि देव 17-1-2023 समय 17:07 तक रहेंगे | आइये जानते हैं क्या है शनि की साढ़ेसाती, इसका फल और उपाय:-
क्या होती है शनि
तीसरे भाव मे बैठे दोनों ग्रह चंद्र, शनि मिथुन लग्न मे विष योग दोनों ही बनाएंगे क्यों की दोनों ग्रह इस लग्न कुंडली मे मारक है जिस कारण दोनों ग्रह बुरा फल देंगे !दोनों ग्रह अशुभ फल देंगे
मिथुन लग्न की कुंडली मे दूसरे भाव मे बैठे चंद्र और शनि देवता विष योग बनाएंगे लेकिन यहां समझने बात योग्य यही है की यहां विष योग बनने का कारण चंद्र देवता होंगे ना शनि देवता चंद्र देवता शनि
मिथुन लग्न कुंडली में लग्न में बैठे शनि और चंद्र देव विष योग बनाएंगे लेकिन ध्यान देने योग्य बात यही है की यहाँ विष योग बनने का कारण लग्नेश बुध के अति शत्रु चंद्र देव होंगे ना की शनि
विष योग वृष लग्न पार्ट -12
वृष लग्न मे बारहवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देवता विष योग बनाएंगे यहाँ दोनों ग्रह बुरा फल देंगे क्यों की चंद्र देवता बारहवें भाव मे मारक हुए और शनि देव नीच
वृष लग्न मे ग्यारहवें भाव मे बैठे शनि और चंद्र देव विष योग बनाएंगे लेकिन यहां चंद्र देवता जी की वजह से विष योग बनेगा, चंद्र देवता यहां बुरा फल देंगे और शनि देव जी के अच्छे फल को