सूर्य ग्रहण 25-10-2022 और चंद्र ग्रहण 8-11-2022
एक दीपावली के अगले दिन, तो दूसरा कार्तिकी पूर्णिमा 8 नवंबर 2022 पर
कार्तिक मास की अमावस्या एवं पूर्णिमा पर ग्रहण पड़ रहे हैं। 25 अक्टूबर, 2022 को कार्तिक अमावस्या पर सूर्यग्रहण तथा 08 नवम्बर, 2022 को कार्तिक पूर्णिमा पर चन्द्रग्रहण होगा। दीपावली के अगले दिन 25 अक्टूबर को होने वाला खण्डग्रास सूर्यग्रहण 14:29 से 18:32 बजे तक रहेगा। यह भारत में दृश्य होगा और ग्रस्तास्त होगा अर्थात् ग्रहण की समाप्ति से पूर्व ही सूर्य अस्त हो जाएगा। भारत के अलावा यह ग्रहण यूरोप, मध्य-पूर्व, उत्तरी अफ्रीका, पश्चिमी एशिया आदि देशों में दिखाई देगा।
भारत में अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह तथा उत्तर पूर्व के कुछ क्षेत्रों (इम्फाल, ईटानगर, डिब्रूगढ़, कोहिमा, सिलचर आदि) को छोड़कर प्राय: पूरे भारत में यह दिखाई देगा। इसका सूतककाल प्रात: 02:29 बजे से आरम्भ होगा, परन्तु भारत में यह ग्रहण 14:15 बजे से दिखाई देगा, इसलिए अधिकतर पंचांगकारों का मत है कि सूतककाल का निर्धारण भारत में दृश्यावधि के आधार पर किया जाना चाहिए। इसलिए भारत में सूतक का आरम्भ प्रातः 04:15 बजे से होगा। चूँकि यह ग्रहण ग्रस्तास्त है। इसलिए सूर्यास्त तक ही इसका पर्वकाल माना जाएगा। स्नान, पूजा आदि सूर्यास्त के बाद किए जा सकेंगे, परन्तु भोजन आदि का ग्रहण अगले दिन सूर्योदय के पश्चात् किए जाने का विधान है।
सूर्यग्रहण तुला राशि एवं स्वाती नक्षत्र में घटित हो रहा है। फलत: इस राशि एवं नक्षत्र वालों के लिए यह ग्रहण अधिक अशुभ फलप्रद रहेगा। इसके अतिरिक्त मेष, मिथुन, कर्क,सिंह,कन्या,वृश्चिक, कुम्भ एवं मीन राशि वाले जातकों के लिए भी यह ग्रहण शुभ नहीं है।जिनका कार्तिक मास मे जन्म है उनको ज्यादा अशुभ है |
कार्तिक पूर्णिमा पर खग्रास चन्द्रग्रहण 08 नवम्बर, 2022 को 14:39 बजे से 18:19 बजे तक रहेगा। यह चन्द्रग्रहण भारत में ग्रस्तोदय होगा अर्थात् ग्रहण के दौरान ही भारत के सभी क्षेत्रों में चन्द्रोदय होगा। चन्द्रग्रहण ग्रस्तोदय होने के कारण इसका सूतक प्रातः सूर्योदय से ही आरम्भ हो जाएगा।
चन्द्रग्रहण मेष राशि एवं भरणी नक्षत्र में घटित हो रहा है। फलत: इस राशि और नक्षत्र वालों के लिए यह ग्रहण अशुभ फलप्रद है। इसके अतिरिक्त वृषभ, सिंह, कन्या, तुला, धनु, मकर एवं मीन राशि वालों के लिए भी यह ग्रहण शुभ फलप्रद नहीं है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक मास में दो ग्रहणों का होना अशुभ फलप्रद माना जाता है। यह न केवल आमजन के लिए वरन् सत्तापक्ष में बैठे राजनेताओं के लिए भी और देश विदेश मे हो रही उथल पुथल और जनजीवन के लिए भी शुभ नहीं कहा जा सकता है। •
उपाय जिनका कार्तिक मास मे जन्म हो उनको इस दिन गेहूं, आटा अवश्य दान करना चाहिए लाभ होगा |
ग्रहणकाल तथा बाद में क्या करें, क्या न करें ?
ग्रहण के सूतक और ग्रहणकाल में स्नान, दान, जप-पाठ, मन्त्र-स्तोत्र पाठ एवं अनुष्ठान, तीर्थस्नान, ध्यान, हवनादि शुभ कृत्यों का सम्पादन करना कल्याणकारी होता है। जब ग्रहण का प्रारम्भ हो, तो स्नान-जप, मध्यकाल में होम, देवपूजा और ग्रहण का मोक्ष समीप होने पर दान तथा पूर्ण मोक्ष होने पर स्नान करना चाहिए।
सूर्य ग्रहणकाल में भगवान् सूर्य की पूजा, आदित्यहृदय स्तोत्र, सूर्याष्टक स्तोत्र आदि सूर्य-स्तोत्रों का पाठ करना चाहिए। पका हुआ अन्न, कटी हुई सब्जी ग्रहणकाल में दूषित हो जाते हैं, उन्हें नहीं रखना चाहिए। परन्तु तेल या घी में पका (तला हुआ) अन्न, घी, तेल, दूध, दही, लस्सी, मक्खन, पनीर, आचार, चटनी, मुरब्बा आदि में तेल या कुशातृण रख देने से ये ग्रहणकाल में दूषित नहीं होते। सूखे खाद्य पदार्थों में तिल या कुशा डालने की आवश्यकता नहीं।
ध्यान रहे, ग्रस्त सूर्यबिम्ब को नंगी आँखों से कदापि न देखें। वैल्डिंग वाले काले ग्लास में से इसे देख सकते हैं। ग्रहण के समय तथा ग्रहण की समाप्ति पर गर्म पानी से स्नान करना निषिद्ध है |ग्रहणकाल में सोना, खाना-पीना, तैलमर्दन, मैथुन, मूत्र, पुरीषोत्सर्ग निषिद्ध है। नाखून भी नहीं काटने चाहिए।
सूर्य ग्रहण पर हरिद्वार, कुरुक्षेत्र, प्रयागादि तीर्थों पर स्नान, दान, तर्पणादि का विशेष माहात्म्य होता है।